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________________ - जिसके दिल में श्री नवकार, उसे करेगा क्या संसार? गया। किंतु यह प्रसंग भी नवकार मंत्र के सहारे बना और नवकार मंत्र के सहारे ही जेल में गये। श्री नवकार मंत्र के सहारे ही हमारी जेल यात्रा महल यात्रा बन गयी। दिनांक 1 जनवरी, 1995 का पहला दिन हमारा पाटण उपजेल में उदय हुआ। सवेरे हमेशा से अलग ही दिन था। हमेशा सवेरे उठकर बगीचे में जाना, फूल लाने, फूल लाकर बाजार में बेचने, हमेशा देव मन्दिर में देने जाना होता था। फिर तो पूरा दिन कामकाज में ही रहता था। मैं दि. 1 जनवरी, 1995 को सवेरे उठा, तब से नवकार मंत्र के सिवाय कोई कामकाज नहीं था। जेल में जाने के बाद तो मुश्किलों का पहाड़ दिखाई देता है। उसकी कल्पना करने बैठे तो उसका अन्त ही नहीं आये। यह एक दिन पूरा हुआ, रात प्रारंभ हुई। पहले दिन जेल में सो रहा था। श्री नवकार मंत्र कहता है कि, मुझे शुरू करो, फिर सोना प्रारंभ करो। श्री नवकार मंत्र का जाप चालु किया, तो रात कब पूरी हुई पता ही नहीं चला और सवेरा हो गया। सोचते थे कि आज छुट जायेंगे। किंतु नवकार मंत्र कहता है कि, 'तुम मुझे मत छोड़ना, जेल तो उसका समय आयेगा, उसके बाद एक दिन भी नहीं रखेगी।' जेल में जाने के बाद नवकार मंत्र के साथ तो सगे भाई की तरह मेरी दोस्ती हो गयी थी। एक ही केस में हम सात लोग पकड़े गये थे। हम दोनों सगे भाई, दूसरे पांच, एक के बाद एक जेल में साथ हुए। जेल में जाने के दूसरे दिन से हम दोनों भाइयों के टिफिन चालु हुए। हमारे साथ जो हरिवल्लभभाई थे, उनका भी टिफिन चालु हुआ। घर पर मेरी धर्मपत्नी ने वकील संबंधी पहचान का उपयोग कर हमारा टिफिन प्रारंभ करवाया। दिनों के ऊपर दिन बीतने लगे। प्रतिदिन धर्मपत्नी टिफिन लेकर आती, घर के केस की कार्यवाही की, व्यवसाय रोजगार की, सगे सम्बंधियों की सभी बातें वह जेल के बाहर की ओर खड़ी रहकर मुझे सुनाती। जेल में 30-40 लोग थे। हमेशा घट-बढ़ होती रहती थी। नवकार के सहारे रात-दिन आनंद से बीतते थे। उस समय महागुजरात नवनिर्माण आन्दोलन चल रहा था, जिससे बार-बार कपर्यु लगता था। किन्तु नवकार 320
SR No.032466
Book TitleJiske Dil Me Navkar Use Karega Kya Sansar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahodaysagarsuri
PublisherKastur Prakashan Trust
Publication Year2000
Total Pages454
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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