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-जिसके दिल में श्री नवकार, उसे करेगा क्या संसार? - भगवान ही छुड़ा सकेगा, नवकार मंत्र ही सहायता करेगा, ऐसी प्रतीति हुई।
हम घर से भागने का तय करके घर पर सलाह देकर खुशालचन्दभाई (मैं), गुलाबचन्दभाई(छोटा भाई) और मित्र हरिवल्लभभाई गाड़ी तय करके निकल गये। कहां जाना वह कुछ तय नहीं था। जैसे-जैसे |गाड़ी आगे बढ़ती गई वैसे मेरी छाती में मेरे साथ नवकार मंत्र के ही हिलोरे चलते गये। गाड़ी में तीन आदमी बैठे थे। गाड़ी आगे बढ़ती जा रही थी। नवकार मंत्र चालु था। हरिवल्लभभाई ने चलती गाड़ी में ही पूछा कि, "खुशालचन्दभाई! कहां रुकेंगे? किसकी सलाह लेंगे? हम तो निर्दोष हैं। किन्तु कानुन की भयंकरता तो वकील साहब ने समझा ही दी थी। |भगवान ने चालु गाड़ी में ही प्रेरणा दी कि, "तुम्हारी गाड़ी जहां ले जानी
है, वहां नहीं ले जाकर रास्ते में ही उतर जाओ। तुम जहां रुकोगे उसका |पता ड्राईवर को नहीं पड़ना चाहिये। गाड़ी वापिस पाटन जाएगी और
पुलिस, गाड़ी वाले की खोज कर डालेगी।" इस प्रकार रात साढ़े ग्यारह बजे घर पर समाचार पूछे तो पता चला कि घर पर कोई पूछताछ करने नहीं आया है। सवेरे 4 बजे पुलिस घर पर आयी वैसे समाचार हमें 23 दिसम्बर को मिले। फिर तो केस बड़ा भयंकर है, उसका ख्याल आ गया। अपना कोई दोष नहीं है। आपसी अनबन से अपने नाम लिखवाये हैं। दि. 24 दिसम्बर को आरोप की संक्षिप्त नकल पढ़ने को मिली। इस प्रसंग में यदि नवकार मंत्र नहीं होता तो क्या करते? किंतु इस समय में नवकार मंत्र ने ही सहायता की। हरिवल्लभभाई की पहचान का उपयोग किया। दिनों पर दिन बीतने लगे। कुछ भी फायदे जैसा नहीं लगा। हमें लगा कि अब पुलिस के हवाले होना ही पड़ेगा। मगर पुलिस के साथ नटुभाई ब्रह्मभट्ट ने मिलकर तय किया कि, 'तुम आ जाओ। पुलिस तुम्हें पहचानती है। पुलिस कुछ भी गलत बर्ताव नहीं करेगी। तुम्हें तुम्हारी सत्यता साबित करने में सहयोग करेगी।' यह सभी प्रभाव नवकार मंत्र का ही था। दि. | 30 दिसम्बर को तय किये अनुसार पाटन आ जाना। फिर एक दिन घर पर सभी के साथ रहना। उसके बाद अपनी एवं पुलिस की सुविधानुसार पुलिस के साथ जेल जाना। जेल में जाने और लेने देने का समय आ
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