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• जिसके दिल में श्री नवकार, उसे करेगा क्या संसार ?
करता था और बीच बीच में शैलेष, भरत, मनीष, राधा, रूपा, मिनल, 5116470-5128125 (जो मेरे तीन लड़कों के नाम और उनकी पत्नियों के नाम हैं) वगैरह बोलते बोलते मेरा नवकार मंत्र का जाप चालु ही था।
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रिक्शे वाला एस. वी. रोड़ पर से गुजर रहा था। बीच में कांदीवली पुलिस स्टेशन आया। मुझे दूर से ही लहुलुहान स्थिति में एक पुलिस इन्सपेक्टर ने देखा। रिक्शे वाले को ईशारा कर अपनी ओर बुलाया। रिक्शा खड़ा होते ही वह मेरे पास आया। मैंने कहा कि, " साहब ! मलाड़ में गोलीबारी हुई है। " पुलिस इंसपेक्टर ने रिक्शे वाले से कहा कि, 'भगवती अस्पताल - बोरीवली ले जाओ। "मेरा नवकार मंत्र अविरत चालु था। मैं जीवन एवं मौत के बीच झोंके खा रहा था। मेरा प्राण किस समय निकलेगा, इसका मुझे भय लग रहा था । किन्तु अंतर में नवकार मंत्र चालु था। तो श्री अरिहंत की शरण सही है। " मैं इस भाव में डूबा हुआ था।
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मुझे रिक्शे वाला भगवती अस्पताल 8-15 बजे ले आया। डॉक्टरों ने प्राथमिक पूछताछ कर मुझे स्ट्रेचर पर लेकर प्राथमिक उपचार प्रारंभ किया। मुझे इंजेक्शन एक्स रे, सेविंग वगैरह चालु कर ऑपरेशन थियेटर में एनेस्थेशिया सूंघाया। यहां तक मैं पूरे होश में था और नवकार मंत्र चालु था। डॉक्टरों ने लगभग चार घण्टों की मेहनत के बाद मेरे शरीर में से गोली बाहर निकाली। मुझे रात को 1-00 बजे बाहर लाये। तब मेरे तीन पुत्र, तीन पुत्रियां, पुत्रवधुएं, पत्नी, भाई, बहिनें और बहुत संबंधी उपस्थित थे। हवा की तरह यह बात सब जगह फैल गई थी। लगभग 50-60 लोगों की भीड़ मुझे देखने को अधीर हो रही थी ।
दूसरे दिन सवेरे नौ बजे वह रिक्शे वाला मेरी खबर लेने आया। मैंने तब दो हाथ जोड़कर उसका उपकार प्रदर्शित किया। उसके बाद पास में खड़े अपने पुत्र शैलेष को कहा कि "तेरी जेब में जो हो, वह इस रिक्शा वाले को दे दे। यह मेरा अरिहंत भगवान बनकर आया था। "
उस रिक्शा वाले ने कुछ भी नहीं लिया और मेरे पुत्रों एवं सगे- सम्बंधियों से बात की कि, "मैं (रिक्शावाला) जब मलाड़ से बोरीवली
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