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• जिसके दिल में श्री नवकार, उसे करेगा क्या संसार ?
पर बैठे सुरक्षा प्रहरी को तीन लगीं। में क्षणभर कुछ समझ नहीं सका, यह सब क्या हो रहा है। किन्तु पांच-दस सेकण्डों के बाद मेरे पेट में से खून का फव्वारा छूटने लगे। मुझे अहसास हुआ कि मुझे गोली लगी है। मुझे मौत का विशाल पंजा दिखाई देने लगा। मैंने मन ही मन विचार किया कि अब क्या करना । गोलियों की आवाज से आसपास की दुकाने फटाफट बन्द होने लगीं। लोगों की भागदौड़ होने लगी। चारों ओर गोलियों की बर्षा शुरू हो गई। मैं पास की कपड़े की दुकान की ओर मुड़ा। जिसका आधा शटर अभी खुला था। मैं उसमें घुस गया किन्तु मुझे लहु-लुहान हालत में देखकर दुकानदार ने धक्का देकर बाहर निकाल दिया, क्योंकि वह समझा होगा कि इस आदमी को मारने के लिए कोई आया है और वह अपनी दुकान में आया तो अपनी भी मौत होगी। जब दुकानदार ने मुझे धक्का देकर बाहर निकाला तब मेरी अन्तरात्मा से आवाज आई, " श्री अरिहंत भगवान की शरण हो।" बस फिर मैं पेट को हाथ से दबाकर एस. वी. रोड़ पर लगभग 7-50 बजे आया। मैंने सिग्नल पर खड़े पुलिस वाले को कहा "साहब ! गोलीबारी हुई है, मुझे रिक्शे में बैठाओ।" मैं इतना बोला और वहां एक रिक्शेवाला आकर खड़ा हुआ । मैंने कुछ भी सोचे बिना कहा कि, "अस्पताल ले चलो।" मैं जोर-जोर से नवकारमंत्र के पद बोलने लगा। " नमो अरिहंताणं, नमो सिद्धाणं, नमो आयरियाणं... तेज आवाज से जाप शुरू कर दिया, क्योंकि मुझे मौत सामने दिखाई दे रही थी। अब श्री अरिहंत परमात्मा की शरण के अलावा कोई उपाय नहीं था। मैं श्री नवकार मंत्र के जाप के साथ-साथ हमारी कुलदेवी श्री मोमाय माताजी का भी स्मरण करने लगा। मेरे शरीर में असह्यय वेदना हो रही थी। शरीर के अन्दर की हजारों नसें टूट रही थीं। गोली नीचे उतर रही थी, वैसे मुझे अपार पीड़ा होती थी, जो सहन करने की मेरी शक्ति नहीं थी। मेरे मुंह में महामंत्र नवकार का जाप अविरत रूप से चालु था। रिक्शे वाला मुझे बीच-बीच में पूछता कि, " सेठ आप कहां रहते हों, आपका टेलीफोन नंबर दीजिए, आपके बच्चों का नाम बतायें, मैं फोन करके बुला लूंगा।" मैं नवकार मंत्र का जोर से उच्चार
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