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- जिसके दिल में श्री नवकार, उसे करेगा क्या संसार? (भगवती अस्पताल) साहब को रिक्शे में बिठाकर ला रहा था, तब साहब तेज आवाज में जो अपने भगवान का नाम ले रहे थे, तब मेरे हाथ में कोई अलग ही प्रकार की ताकत आ रही थी। जिससे में तेज गति से रिक्शा चलाने लगा।"
उस समय मुझे समझ में आया कि इस रिक्शा वाले के हाथ में ताकत देने वाले कोई दूसरे नहीं, किन्तु मेरे अरिहंत भगवान थे।
यह मेरा स्वयं का नवकारमंत्र का अनुभव है। आपको एक प्रश्न स्वाभाविक होगा कि, ऐसे समय नवकारमंत्र की शरण कैसे याद आयी? तो इसका एक ही जवाब है। हमारे घर में धर्म के संस्कार कई वर्षों से भरे हुए हैं। मेरे मातृश्री किन्हीं दिनों हमेशा सुबह-शाम प्रतिक्रमण करते थे और हम दोनों (मैं और मेरी धर्मपत्नी) कई वर्षों से सुबह उठकर सामायिक करने बैठ जाते हैं। उसमें माला, भक्तामर वगैरह की उपासना करते हैं। जब मुझे गोली लगी, उस समय मेरी पत्नी का वर्षीतप चल रहा था और आठ महिने पूरे हो गये थे।
इसके सिवाय मैं आपको बताता हूँ कि इस गोलीकाण्ड में श्री झवेरचन्दभाई शाह को चार गोलियां लगी थीं, वे धर्म के प्रताप से बच गये थे। उनके भानजे विजय को एक गोली लगी थी, वह भी बच गया था। उनके सुरक्षा प्रहरी को तीन गोलियां लगी थी, वह मर गया था। इसकी जानकारी कई समाचार पत्रों में आयी थी।
. लेखक : श्री चन्दुलाल, न्यालचन्द दोमड़िया, . कैलास ज्योत नं, 2, फ्लेट नं. 17, ग्राउण्ड फ्लोर, देरासर लाईन,
. घाटकोपर (पूर्व) मुम्बई- 77 मैं अकेली नहीं थी, नवकार सतत मेरे साथ था। __मेरे कर्मोदय से मेरे पति की कंपनी में मजदूरों की हड़ताल हुई। सभी ऑफिसर काम करते थे। मेरे पति भी ऑफिसर थे। वे भी अन्दर कंपनी में काम कर रहे थे। दरवाजे के पास बाहर मजदूरों की धमाल
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