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-जिसके दिल में श्री नवकार, उसे करेगा क्या संसार? मेरी माँ ने कहा, 'थोड़ा दूध चलेगा? मैंने कहा, "देखें, लाओ।" मैंने एक कप दूध पी लिया। इससे पहले पांच दिन से पानी का एक बूंट भी गले से उतार नहीं पाता था। नवकार और भावना चालु ही थे।
मुझे रात्रि में नींद आ गई। पिछले छह दिनों से नींद नहीं आई थी। पांच छह घण्टे गाढ निद्रा की। घर के लोग तो अभी तक यही मानते थे कि में दो-चार घड़ी का मेहमान हूँ। मैं सुबह उठा तो महसूस हुआ कि, शरीर में कुछ नई स्फूर्ति है, मानो नया जीवन मिला हो। मैंने चाय पानी लिया। मैं भावना एवं नवकार नहीं छोड़ता था। | मैं धीरे-धीरे दूध, राबडी, वगैरह प्रवाही खुराक लेने लगा। मुझे दूध की मलाई जैसी पौष्टिक खुराक देने लगे। एक सप्ताह में तो मैं शीरा वगैरह लेने लगा। । हमारे पारिवारिक डॉक्टर को साथ में लेकर हम बड़े डॉक्टर को बताने गये। मुझे देखकर उन्हें बहुत आश्चर्य हुआ। पूरी बात की। उन्होंने कहा, "तुमने पिछले चार पांच दिन से कुछ खाया पीया नहीं था, तो उल्टी किसकी हुई? गला किससे खुल गया? तुमने क्या उपचार किये थे? वैद्य आदि की भी कोई दवा ली हो तो वह बताओ, जिससे दूसरे मरीजों पर उसका प्रयोग किया जा सके। मैंने कहा मैंने कोई दवा नहीं ली, प्रभ का नाम लिया है।ष्मैंने कोई उपचार किया हो तो जानने के लिए डॉक्टर ने कई प्रश्न किये, किन्तु मेरे पास दूसरा कुछ कहने को नहीं था। डॉक्टर को लगा कि अब कुछ ट्रीटमेन्ट करनी चाहिए। उन्होंने लाइट लेने (सेक कराने) को कहा। मैंने लाइट लेने का निर्णय किया। 28 सीटिंग लाइट (डीप एक्स-रेस ट्रीटमेन्ट) ली। परन्तु मुझे अब तसल्ली हो चुकी थी कि नवकार से ही सब ठीक हो जाएगा। इसी कारण लाइट लेने जाते समय रास्ते में, बस में, घर से निकलते समय, सभी जगह नवकार का रटन चालु रखता।
आराधना के लिए यह कुछ समय मिल गया है, मैं अब चार छह महीने आराधना के लिए निकाल लूंगा। ऐसा मुझे अब लगने लगा। इससे