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• जिसके दिल में श्री नवकार, उसे करेगा क्या संसार ? चन्द्रशेखरविजयजी म.सा. द्वारा प्रेरित तपोवन में कक्षा 8 से 10 तक पढ़ाई कर जैन धर्म के सुन्दर संस्कार प्राप्त किये हैं।
सुप्रसिद्ध कथाकार श्री मोरारी बापू वगैरह जैनेतर साधु-सन्त भी लालुभा के आचार-विचार और उच्चार को देख-सुनकर जैन धर्म से बहुत प्रभावित हुए हैं।
वास्तव में लालुभा का जीवन जैन कुल में पैदा हुए अनेक आत्माओं के लिए भी विशेष प्रेरणादायक है।
लालुभा को कोटि कोटि धन्यवाद, साथ में उनको धर्म मार्ग में जोड़ने वाले पूज्य श्री को कोटि-कोटि वन्दन ।
लेखक:- संपादक
मंत्राधिराज श्री नवकार का तेज )
पूर्व के किसी महान पुण्योदय से मुझे धर्मराज श्री जैन धर्म में जन्म मिला। उसमें श्री नवकार महामंत्र का प्रभाव वर्णनातीत है। यदि अटल श्रद्धा से उसका स्मरण किया जाए तो इस भयंकर कलियुग में भी वह मनोवांछित पूर्ण करता है।
'लाख-लाख है विनति मेरी लो आश्रय महामंत्र नवकार का
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आज से तीन वर्ष पूर्व मैंने उच्चतर माध्यमिक बोर्ड की एस. एस. सी. की परीक्षा 72 प्रतिशत अंकों के साथ उत्तीर्ण की थी। मैंने उसके बाद एच. एस. सी. की परीक्षा देने का निर्णय किया, परन्तु पूर्व के पापोदय के कारण मैं अपने मन को पढ़ाई में नहीं रख सका । मेरा मन हमेशा बाह्य प्रवृत्तियों में खेलता था । परिणाम यह आया कि मैं एच. एस. सी. (10+2 पद्धति) की परीक्षा में अनुत्तीर्ण घोषित हुआ। मुझे अपनी वास्तविकता का ख्याल आ गया। उस समय मेरे जीवन में धर्म नाम मात्र का ही था।
अब, मैंने अपना मन धार्मिक प्रवृत्तियों में रखना प्रारम्भ किया। मैं धीरे-धीरे श्री नवकार मंत्र से सम्बन्धित पुस्तकें पढ़ने लगा। इसी दौरान
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