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- जिसके दिल में श्री नवकार, उसे करेगा क्या संसार? महामंत्र का जाप किया। परिणाम स्वरूप बिच्छू के डंक की पीड़ा भी घण्टे में सम्पूर्ण रूप से शान्त हो जाने से अनेक लोगों को जैन धर्म तथा नवकार महामंत्र पर श्रद्धा हुई।
(5) धरणेन्द्र नागराज के दर्शन हुएः- एक बार नित्य क्रमानुसार लालुभा सामायिक लेकर शंखेश्वर पार्श्वनाथ की तस्वीर सामने स्थापित कर जाप कर रहे थे। सामायिक पालने में दसेक मिनट देरी थी। वहीं तो अचानक विशाल धरणेन्द्र नागराज वहाँ आ पहुँचे और पार्श्वनाथ की तस्वीर पर फण धारण कर थोड़ी देर स्थिर रहे। यह दृश्य देखकर लालुभा क्षण भर तो स्तब्ध बन गये। परन्तु जाप में स्थिर रहे। वहाँ से घबरा कर उठ नहीं गये। नागराज आखिर में थोड़ी देर बाद फण सिकुड़कर थोड़े दूर कोने में पड़े लोहे के सामान में अलोप हो गये। सामायिक पालने के बाद लालुभा ने वहाँ जाँच की, किन्तु नागराज नहीं दिखाई दिये।
(6) खारे समुद्र में मीठा जल :- सं. 2043 के अकाल के समय आसपास के खेतों में ट्युबवेल खोदने पर खारा पानी निकला। परन्तु लालुभा के खेत के ट्युबवेल में ही मीठा पानी निकलने पर लालुभा ने सभी को उदारता से मीठा पानी देकर सभी का प्रेम प्राप्त किया।
(7) जीवदया का चमत्कार :- एक बार ट्रेन्ट गांव के खेतों में जीरे की फसल में बंटी नाम का रोग व्यापक पैमाने पर फैला था। किन्तु खेत में कभी भी जंतुनाशक दवा का उपयोग नहीं करने वाले लालुभा की फसल में यह रोग नहीं लगा। यह देखकर गांव के लोगो में जैन धर्म के प्रति भारी अहोभाव जगा!
(8)केन्सर केन्सल हुआ :- लालुभा के छोटे भाई की धर्मपत्नी वेलकुंवरबा को गर्भाशय का केन्सर था। डॉक्टरों ने उसे असाध्य घोषित किया था। लालुभा ने श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ भगवान की अट्रम तप का संकल्प करके नवकार से अभिमंत्रित पानी पिलाने से कुछ ही दिनों में केन्सर मिट गया। डॉक्टर भी चकित रह गये। शासन प्रभावना हुई। .
लालुभा के एक पुत्र जयेश ने नवसारी में पूज्यपाद पंन्यासप्रवर श्री
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