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- जिसके दिल में श्री नवकार, उसे करेगा क्या संसार ?
में से जूँ निवारक दवा खरीदी और रात को दस बजे सोते समय दोनों बच्चों को दवा लगा कर हम सो गये। ऊपर पंखा चालु था। कमरे के खिड़की-दरवाजे बन्द थे। मेरे पास में मेरा बेटा सोया हुआ था। वह सुबह चार बजे अचानक उठकर घबराहट में 'करन्ट आता है' ऐसे कहने लगा। मैंने लाइट करके देखा कि कोई वायर टूटा हुआ नहीं, चूहे या किसी जीव-जन्तु ने वायर नहीं तोड़ा। वह फिर पाँच बजे चिल्लाने लगा तब उसके मुँह में से झाग निकल रहे थे।
उस समय मेरी बेटी के भी मुँह में से झाग निकलने लगे। दोनों बच्चे बेहोश हो गये। मैंने तुरन्त दोनों बच्चों को सिविल अस्पताल में भर्ती करवाया। डॉक्टर घबरा गये थे। मैंने नवकार मंत्र बोलना शुरू किया । लड़का छोटा होने से उसे दवा का असर ज्यादा हुआ था। इलेक्ट्रीक मोटर जैसे कुएं में से पानी खींचती है, वैसे उसके नाक में पतली नली लगाकर फेफड़ों में से जहरी दवा छोटी मोटर से खींचने लगे और जहर कम किया। ऑक्सीजन गैस के बोतल दोनों के लिए शुरू किये।
दोनों के जहरी दवा वाले बाल काट डाले । दि. 8-7-85 को रविवार होने से दवाइयों की दुकाने देरी से खुलने के कारण हमें दवा के लिए रिक्शे में बैठकर फाँके मारने पड़े।
मैंने सतत नवकार का जप चालु रखा और दृढ़ मनोबल रखकर दवायें जैसे-तैसे करके इकट्ठी करवायीं । सवेरे 10 बजे तक 65 इन्जेक्शन और 8-9 तारीख को कुल 120 इन्जेक्शन जहरी दवा को नष्ट करने हेतु काम में लिये।
दोनों बच्चे शाम को चार बजे तक ऑक्सीजन पर थे। इस दौरान पड़ोसियों को खबर मिली। वे सभी एवं छोटे बच्चे अपने मित्रों से मिलने अस्पताल में दौड़ आये। डॉक्टरों एवं अस्पताल स्टाफ को संभालने में मुश्किल होने लगी। उन्होंने व्यवस्था में सहयोग हेतु विनति की। सिविल अस्पताल हमारे मोहल्ले के सामने होने से प्रेम के कारण लोगों के टोले उमड़ने लगे। मुम्बई के सगे संबंधियों को टेलिफोन कर पडौसियों ने
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