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• जिसके दिल में श्री नवकार, उसे करेगा क्या संसार ?
लिपटा हुआ है। हकीकत में यह नाग के लिपटने का असर था। मजदूरों एवं अन्य दर्शकों ने पास में आकर सावधान कर आंखें खोलने को कहा, तब वे श्रद्धापूर्वक आँखें खोलकर कहने लगे कि, "यह सब नवकार का प्रताप है।"
" जंगल में मंगल हुआ"
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यह घटना भी रसिकभाई के जीवन की है। उनको गार्ड के रूप बढ़ोतरी मिलने से वे एक बार माल (गुड्स) ले जा रहे थे। डिब्बे में गड़बड़ होते ही उसे इन्जिन से अलग कर इन्जिन व ड्राइवर आगे के स्टेशन की ओर रवाना हुए। मालगाड़ी में बहुत माल, अन्धेरी रात, जंगल प्रदेश में हाथ में लालबत्ती लेकर घन्टों तक नवकार का जाप करते वह अकेले रहे थे। निश्चित घन्टों के बाद इन्जिन आगे के स्टेशन के मास्टर और रेल्वे के कर्मचारियों को लेकर वापिस आया। वे मालगाड़ी को व्यवस्थित कर यथास्थान पर निर्विघ्नता से पहुँचे।
लेखक - मुनि श्री अमीचन्दजी महाराज (बोटाद सम्प्रदाय)
जीवनदाता श्री नवकार
चौदह पूर्व के सार रूप नवकार महामन्त्र की नियमित आराधना करने वाले को तो अनेक लाभ होते ही हैं, किन्तु केवल आपत्ति के समय में भी महामन्त्र की शरण में जाने वाली आत्मा उस आपत्ति में से क्षेमकुशलता पूर्वक पार उतर जाती है, उससे सम्बन्धित मेरे जीवन का एक अनुभव पेश करता हूँ।
मेरी एक बच्ची शीतल उम्र 8 वर्ष तथा एक बेटा उदयन उम्र साढ़े तीन साल दोनों स्कूल में पढ़ते हैं। स्कूल में पढ़ने के कारण आसपास के छोटे बच्चों के सिर में से जूँ एक- दूसरे बच्चे पर आ जाती हैं। मेरी पत्नी को दाहिने हाथ में लकवा होने के कारण बालकों के बाल सँवारने में तकलीफ रहती है। हमने पिछले वर्ष दि. 7-7-85 शनिवार के दिन बाजार
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