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- जिसके दिल में श्री नवकार, उसे करेगा क्या संसार ?
जानकारी दी और वहाँ भी सभी के प्राण हाथ में थे। शाम को 4 बजे तक दोनों बच्चों के जीवन संकट में थे। दोनों बच्चे बेहोश थे। पुलिस ने सुबह नौ बजे आकर जाँच की। मुझसे बयान लियो " तुम ज्यादा पढ़े-लिखे दोनों ने बच्चों के जीवन के साथ छेडछाड़ की, " ऐसा कहने लगे। बाल के नमूने ले गये। दवा की बोतल फेंक दी थी इसलिए नहीं मिली। मैंने उवसग्गहरं स्तोत्र 27 बार गिनकर नवकार मन्त्र का रटन चालु ही रखा। मुम्बई से सगे- सम्बंधी दौड़े आये। उन्होंने भी नवकार मन्त्र का उपयोग रखा।
रात में दोनों बच्चों को कुछ होश आते, उन्होंने बकवास चालु कर दिया। पुलिस को तो उसमें ही रुचि थी। मैंने अपने पहचान के एक वकील का सम्पर्क साध कर पुलिस को समझाया कि, "हमारे दो ही बच्चे हैं। दोनों के बालों में गैर समझ से जहरी दवा डालने से यह घटना घटी है। इसके पीछे कोई गलत इरादा नहीं था।" मैंने पूरी रात जाग्रत रहकर नवकार मन्त्र का रटन चालु रखा। दूसरे दिन पत्नी, पड़ोसियों तथा स्नेहियों के सम्पर्क के बाद पुलिस ने विगतवार रिपोर्ट तैयार की। दोनों बालकों के जीवन प्रातः काल में 'फूल खिले' उस प्रकार महक उठे।
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उवसग्गहरं एवं नवकार मन्त्र के बल से दोनों बच्चों की जीवन - डोरी कुछ ही क्षणों में पूरी हो जाये, वैसी होने के बावजूद प्रत्येक वस्तु को आवश्यक समय पर मुश्किलों का सामना कर प्राप्त करने में सफलता मिली। मेरे जीवन का यह सचोट दृष्टान्त उवसग्गहरं तथा नवकार मन्त्र में गहरी श्रद्धा रखने वाले को जरूर फलदायी होगा।
लेखक:- ठाकरसी माणेकजी शाह, 208, गिरिराज एपार्टमेन्ट, गिरीराज थियेटर के पीछे, नवसारी जिला - वलसाड़ (गुजरात)
सागर शान्त हुआ
अभी मेरी उम्र 58 वर्ष की है। (यह दृष्टान्त सं. 2042 में लिखा गया तब उम्र 58 साल की थी) जब मैं छोटा स्कूली विद्यार्थी था, और
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