________________
-जिसके दिल में श्री नवकार, उसे करेगा क्या संसार ?
सायंकाल का प्रतिक्रमण पूरा हुआ। उसके बाद सुरेन्द्रनगर के विशाल उपाश्रय की पहली मंजिल पर एक खिड़की के पास हम बैठे थे। उनकी बात प्रारंभ से अन्त तक सुनने की मेरी जिज्ञासा देखकर उन्होंने विस्तार से अपना वृत्तांत सुनाना प्रारंभ किया।
विक्रम संवत् 2016 का यह वर्ष था। हमारी इस पहली मुलाकात होने से पन्द्रह वर्ष पूर्व यह घटना घटित हुई थी, अर्थात् विक्रम संवत 2001 के आसपास की यह बात है। नवकार द्वारा नवजीवन प्राप्त करने वाले यह बड़भागी गुलाबचन्दभाई आज 27 वर्ष बाद भी रोग मुक्त हैं।
(यहाँ 27 वर्ष लेखक द्वारा लेख लिखते समय जितना समय हुआ था उसके अनुसार होते हैं, यानि यह मूल लेख सं. 2028 में लिखा हुआ है -संपा.)
वे नवकार के आलंबन से धर्माराधना करते हुए अत्यंत शांति से सुखमय निवृत जीवन व्यतीत कर रहे हैं।
44
श्री नमस्कार महामंत्र में रही हुई अचिंत्य मंत्रशक्ति का यह जीवंत उदाहरण अपनी साधना हेतु नई प्रेरणा एवं प्रकाश देता है। क्या यह महारत्न है ? 1 या फिर यह चिंतामणि है ? अथवा कल्पवृक्ष समान (इच्छित फल देने वाला) है? नहीं, नहीं, यह ( नवकार) तो चिंतामणि और कल्पवृक्ष से भी बढ़कर है।"
यह उद्गार हैं, पूर्व के महापुरूषों के । नवकार की महिमा का वर्णन करते उन्हें लिखना पड़ा कि चिंतामणि एवं कल्पवृक्ष से भी इसकी तुलना नहीं की जा सकती है। परन्तु कलियुग के कलुषित वातावरण में दूषित मनवाला मानव आज जब नवकार गिनता है और जब उसे इच्छित फल नहीं मिलता, तब उसे पूर्व के महापुरूषों के वचनों में अतिशयोक्ति लगती है। वह कहता है
"
'यह स्तुतिवचन है, अर्थात् वर घोड़े के उसके गीत गाये जाते हैं।" उसी प्रकार यहाँ उन्होंने
ऊपर चढ़ता है तब नवकार के गीत गाये