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- -जिसके दिल में श्री नवकार, उसे करेगा क्या संसार? निर्दोष जीवों को बचाने के ध्येय के साथ अडिग निश्चय के साथ उनकी कत्ल नहीं करने के लिए समझा रहे थे। वहां एक अलमस्त हष्टपुष्ट आदमी हाथ में छुरा लेकर घुस आया। पू. म.सा. अडिग रहे। उन्होंने लेश मात्र भी घबराये बिना उस आदमी को समझाने का प्रयत्न किया। विनति की, किन्तु वह जरा भी मानने के लिए तैयार नहीं था। तब महाराज साहब ने दूसरी बार विनती की कि, "इस प्रकार खुली कत्ल करना कानूनी अपराध है। हिन्दुओं के सामने इस प्रकार खुली कत्ल नहीं की जा सकती है। साधु सन्तों का नहीं मानोगे तो परिणाम अच्छा नहीं आयेगा।"
कसाई ने गुस्से में आकर पू. म.सा. के ऊपर छ: इन्च लम्बा तथा दो इन्च चौड़ा छुरा फेंका। बचाव के लिए म.सा. ने सामने रजोहरण धरा। म.सा. जान बचाने के लिए भागने के लिए तैयार नहीं थे। उन्होंने वहां से जरा भी डिगे बिना महामंत्र नवकार का स्मरण करते हुए रजोहरण छुरे के सामने किया। छुरा गिर गया। म.सा. ने बदले की भावना से आये हुए कसाई के ऊपर रजोहरण घुमाया और वह अलमस्त धरती पर ढल गया। वह पौने दो घंटे तक. बेहोश पड़ा रहा। म.सा. के पास ऐसा कोई हथियार या साधन नहीं था कि जिससे वह पीड़ित हो और होश गुमा बैठे। केवल नवकार मंत्र का जाप, शुद्ध चारित्र, सत्य आचरण, मूक जीवों के प्रति अनुकम्पा, यह उनका बल था। वे नवकार मंत्र का जाप करते-करते उपाश्रय में वापस लौटे। मामला ज्यादा उत्तेजित बने या आसपास में रहने वालों को परेशानी न हो उसके लिए श्रावकों ने पुलिस में सूचना दी और लोगों की सुरक्षा के लिए पुलिस संरक्षण मांगा। परन्तु पुलिस ने कोई सहानुभूति नहीं दिखाई।
वह पहलवान जैसा आदमी, जिसने पू. म.सा. पर छुरे का वार किया था वह रजोहरण के स्पर्श होते ही बेहोश होने पर वहां खड़े दूसरे लोग रफ्फुचक्कर हो गये। उनको बिना काम के लफड़े में पड़ना पड़ेगा, ऐसा डर लगा।
वहां उतने में दूसरे मौलवी आये। अपनी नजर से यह घटना न
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