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-जिसके दिल में श्री नवकार, उसे करेगा क्या संसार? देखने वाले मौलवी चमक उठे। पुलिस बुलवायी। पू. म.सा. पर आरोप लगाया कि "इस महाराज ने हमारे आदमी को पीटकर बेहोश कर दिया है।" किस कारण पिटाई की, उसकी जांच करने पुलिस उपाश्रय आयी। पू. महाराज साहेब ने अपना हथियार बताया। रजोहरण देखकर पुलिस आश्चर्य व्यक्त कर हंसने लगी। सभी मौलवियों ने रजोहरण हाथ में लेकर देखा। बराबर जांच की, सभी ठण्डे हो गये। पुलिस तथा सभी मौलवियों ने महाराज से माफी मांगी। पू. महाराज साहब ने तुरन्त बेहोश पड़े पहलवान के पास आकर फिर से नवकार मंत्र का स्मरण करके चत्तारि मंगलं का मांगलिक सुनाते वह पहलवान होश में आते ही पू. म.सा. श्रीजगदीशमुनिजी के चरणों में गिर पड़ा। बकरियों का वृन्द छोड़ दिया गया। एक भी बकरी काटी नहीं गयी। सलामती के लिए पुलिस पूरा दिन वहां बैठी रही, मगर कोई अप्रिय घटना नहीं घटी। बड़ी संख्या में बकरियों को सौराष्ट्र की पांजरापोल में रवाना कर 450 बकरियों के जीवों के अभयदाता बने।
यह सब चमत्कार बताने के लिए नहीं था। जान को जोखिम में डालकर पू. जगदीश मुनि श्री द्वारा किया गया यह कार्य "अहिंसा परमो धर्मः" को चरितार्थ करने के लिए था। उसमें नवकार मंत्र का प्रभाव था, शासन देव की सहायता थी और पू. जय-माणेक-प्राण तपस्वीजी जैसे गुरु की, निडर सत्यवक्ता, शासन की शान बढ़ाने वाले पू. जगदीश मुनिश्री को आशिष का फल है।
लेखक - बाबुलाल ए. सेठ
माला सुनहरी हुई, सुगंध से महक उठी
- थोड़े वर्ष पूर्व जब नौ ग्रह साथ में होने की बात थी, तब अफवाहों का बाजार तेज चल रहा था। स्थान-स्थान पर भय को टालने हेतु धार्मिक अनुष्ठान होने लगे। स्थानक में अखण्ड जाप में मैंने भी नाम लिखवाया। मुझे जल्दी सवेरे सबसे पहले शुरूआत करनी थी। दो चार दिन तो
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