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- जिसके दिल में श्री नवकार, उसे करेगा क्या संसार? के प्रमुख श्री महेन्द्रभाई शाह और अन्य अग्रगण्य महानुभाव उपस्थित थे। । पू. गुरुदेव श्री ने पूछा, "तुम्हारे जीवन में कौन-सी ऐसी साधना, विद्या या जादू है कि तुम जादू कर लोगों का मनोरंजन करते हो?" के. लाल ने कहा, "इसमें कोई साधना, विद्या या जादू नहीं। मात्र परमात्मा के साथ अनुसंधान, ऊपर वाले के संकेत, फूर्तिली प्रक्रिया, लोगों का भ्रम
और मानसिक संकल्प काम करता है।" | पू. गुरुदेव- "ऊपर वाले के साथ अनुसंधान में आप क्या करते हो?" के.लाल- "प्रथम भावपूर्ण हदय से तीन नमस्कार महामंत्र गिनता हूँ।" वैसे ही मेरे स्टाफ का प्रत्येक व्यक्ति अपने-अपने इष्टदेव का स्मरण करता है। धूप -दीप करने के बाद ही हमारा शो प्रारम्भ होता है।
"बचपन में जब मैं 11 वर्ष का था, तब से ही मुझे नवकार मंत्र के ऊपर श्रद्धा, प्रेम, विश्वास है। इसलिए कोई भी प्रक्रिया इष्टदेव के स्मरणपूर्वक ही करता हूँ। जिससे अन्दर से संकेत मिलते रहते हैं।'
"बहुत-बहुत मरणांत कष्ट में भी मुझे नवकार के स्मरण से संकेत मिलते ही रहते हैं। जिससे निर्विघ्न कार्य पूर्ण होता है।"
"विमान की दुर्घटना के प्रसंग पर... लेडी कटिंग के प्रयोग में किए गये विश्वासघात के प्रसंग में, बनासकांठा की अकाल की परिस्थिति में आने का साहस वगैरह प्रसंगों में मुझे नवकार के स्मरण के द्वारा अंदर से तुरंत ही संकेत- जवाब आते हैं। उसके अनुसार मैं करता हूँ और मेरे सभी प्रयोग निर्विघ्न पूर्ण होते हैं। ऊपर वाले की तरफ से संकेत, सूचना मार्गदर्शन मिल जाता है।
"विद्याएं दो प्रकार की होती हैं- पिशाची और दैविक...।"
पिशाची में जीवहत्या करनी पड़ती है। जबकि मैंने दैविक विद्या द्वारा जीवहत्या बंद करवाई। पहले जादूगर 10 रूपये में कबूतर लाकर उसे मारकर हाथ चालाकी से जीवित कबूतर रखकर लोगों को हैरत में डालते थे। मैंने जादूगरों में यह हत्या का पाप बंद करवाया। मैं शराबबंदी एवं अंहिसा का पक्षधर हूँ।"
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