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-जिसके दिल में श्री नवकार, उसे करेगा क्या संसार? - हीराचंदभाई को ऐसे समय अमरिकन गोरे लोगों की ऐसी श्रद्धा देखकर आश्चर्य होने लगा। वे सभी के लिए नवकार गिनने लगे। किसी भी भाई-बहिन का ऑपरेशन शुरू होता और उनके लिए वे भाई तुरंत माला हाथ में लेकर नवकार मंत्र गिनने बैठ जाते।
यह क्रम वे जितने दिन उस अस्पताल में अपनी सार-संभाल के लिए रहे, उतने दिन तक नियमित चला और चमत्कार यह हुआ कि जितने दिन वे भाई उस अस्पताल में रहे, उतने दिनों में जितने ऑपरेशन हुए वे सभी ऑपरेशन सफल हुए। वैसे ही सैंकड़ों मरीज उस अस्पताल में इलाज करवाते थे, उनमें से किसी की मृत्यु उतने दिनों के दौरान नहीं हुई, जहाँ एकाध की मौत तो प्रतिदिन होती ही थी।
नवकार मंत्र का यह कोई जैसा-तैसा चमत्कार था? सभी डॉक्टरों, नों, कंपाउण्डरों, कर्मचारियों और रोगियों के लिए यह एक आश्चर्य बन गया था। नवकार मंत्र तो ऐसी कई मुसीबतों में अपनी मदद करता है। अपने पास रहता है। किंतु प्रश्न यह है, कि हम कितने नवकार के पास खड़े रहते हैं? उसके साथ अपनी दोस्ती कैसी जमी है?
लेखक-प.पू. मुनि श्री अपूर्वरत्नसागरजी म.
तथा प. पू. मुनि श्री मुक्तिरत्नसागरजी म. जादूगर के. लाल के अनुभव
विश्व के श्रेष्ठ जादूगर के. लाल पू. गणिवर्य श्री कीर्तिसेन विजय जी म. को उपाश्रय के स्थान में वंदनार्थ आये। दोनों के बीच एक घंटा वार्तालाप चला। जो जनता की धर्मश्रद्धा-आत्मश्रद्धा, अहिंसक वृत्ति को बढ़ाने वाला होने से उसका यहाँ संक्षिप्त सार दिया गया है। । सौम्यस्वभावी जादूगर के. लाल ने पू. गुरुवर्य को भावपूर्वक वंदना की और जमीन पर बैठ गये। पू. गुरुदेव श्री ने धर्मलाभपूर्वक आशीर्वाद दिया। इस समय संघ के प्रमुख श्री रमणीकलाल भाई वड़ेचा, लिओ क्लब
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