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• जिसके दिल में श्री नवकार, उसे करेगा क्या संसार ?
गये थे। सभी को मौत प्राप्त हो ऐसी भिड़न्त थी ।
फिर भी जहां नवकार का स्मरण-रटन और ध्यान हो वहां पूछना ही क्या?
थोड़ी-थोड़ी दूरी पर जहां भयंकर गहरे गड्ढे थे यदि वहां इस ट्रक के साथ भिड़न्त होती तो?
किन्तु टक्कर ऐसे स्थान पर न होकर दो गड्ढों के बीच में गड्ढे रहित एवं टेकरी के पास वाले स्थान पर हुई थी।
यह पहला चमत्कार!
फिर दूसरी भी कोई अनहोनी न होते हुए किसी के हाथ में, किसी के पैर में, किसी के चोटें आई थीं और सभी की जान बच गई। यह दूसरा चमत्कार !
अन्दर बैठे हुए सभी को शरीर में केवल थोड़ी ही
उस समय हसमुखभाई ड्राइवर के पास ही आगे बैठे थे। सामने का काँच टूट गया था। जिसके कितने ही टुकड़े उछले थे, मगर जो ड्राइवर को या उनको नहीं लगे थे। सभी को थोड़ी-थोड़ी चोटें लगी थीं। जब कि उनको कुछ नहीं लगा था। यह तीसरा चमत्कार!
फिर तो धीरे-धीरे सभी को बाहर निकाला गया। हसमुखभाई के अलावा सभी को चोटें लगी थीं। इस ओर मेटाडोर भी काफी क्षतिग्रस्त हो गई थी। इस कारण वह अभी चलने की स्थिति में नहीं थी ।
उतने में एक यात्रिक बस आती दिखाई दी और उसमें सभी को बैठाकुर 'बारई' पहुँचाकर वहाँ के अस्पताल में इलाज हेतु रखा। अहमदाबाद समाचार भेजने पर संघ में भी सभी को आघात लगा । श्री संघ ने उनके निमित्त सामूहिक आयंबिल किए। उसमें 500 भाई बहिनों ने भाग लिया था।
दो-तीन दिन 'बारई' गांव में रुककर सभी की मरहम पट्टी करवाई और सभी अच्छे हो गये और अपने काम-धंधे में वापिस लग गये।
किंतु नवकार महामंत्र की अजीब मदद ऐसे समय में मिली की,
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