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-जिसके दिल में श्री नवकार, उसे करेगा क्या संसार? की क्षमा करना।" इस प्रकार कहकर उस सरदार ने सभी बंदूक धारियों की ओर इशारा किया और सभी चलने लगे। | दोनों बहिनों ने भी गाड़ी में बैठकर ड्राइवर को जल्दी गाड़ी रवाना
करने को कहा। उनके प्राण में प्राण आये थे। । साथ में रही हुई बहिन तो यह एकदम ऐसा परिवर्तन कैसे हो गया? किस प्रकार हुआ? उस पर ही आश्चर्यचकित बन गयी! किंतु नवकार जहाँ होता है वहाँ ऐसे तो कितने ही आश्चर्य बनते हैं, वह बात उस बहिन को कौन समझाये?
: नवकार ने माल बचाया
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. एक जैन गृहस्थ भाई का दृष्टांत कभी पढ़ने में आया था। उसकी आर्थिक परिस्थिति तो एकदम सामान्य किंतु नवकार महामंत्र पर उसकी श्रद्धा असामान्य थी! जब जब फुर्सत मिलती कि मन में नवकार मंत्र का जाप चालु ही होता। ऐसे ही कहो कि कभी फुर्सत मिलती ही नहीं , या तो काम या तो जाप!
इतने में उनके कोई संबंधी उन्हें मुम्बई ले गये और अपनी जवाहरात की दुकान पर बैठाकर दलाली करने का काम सौंपा। वह भाई इस धंधे में धीरे-धीरे मकान किराये पर लेकर वहीं अपने परिवारजनों के साथ रहने लगा। ____ एक बार यह नवकारप्रेमी अपने सेठ के वहाँ से लगभग पन्द्रह-सोलह हजार की कीमत के विविध हीरों का पैकेट लेकर किसी ग्राहक को बताने गये होंगे। वापिस आते समय सोचा कि अब घर जाकर भोजन और थोड़ा आराम करके फिर दुकान जाऊँगा, और वैसा ही किया। उन्होंने दो घण्टे बाद वापिस दुकान जाते समय पैकेट संभाला। सभी जेब देखे, किन्तु वह पैकेट नहीं मिला। बार-बार देखा, किंतु पैकेट हो तो मिले ना! वह तो कभी का इन भाई के बिना ध्यान में खिसक कर रास्ते में किसी की राह देख रहा था।
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