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-जिसके दिल में श्री नवकार, उसे करेगा क्या संसार? - की बुद्धि कुंठित हो गई। उनको कुछ भी नहीं सूझा। तब मेरे पास थैले में करीब पाँच हजार रूपये एवं शरीर पर चेन, अंगूठी और घड़ी थी। उन्होंने कहा-"भाग यहाँ से जल्दी भाग।" मैं और नौकर साथ में वहाँ से चलते बने। अचिंत्य चिंतामणी समान इस महामंत्र के प्रभाव से मैं बाल-बाल बच गया। किंतु अब जब यह दृश्य मेरी आँखों के सामने आता है, तब आँखें आंसुओं से भीगी बन जाती हैं। हदय में से रणकार उठती है कि उस समय मेरा रक्षक... मित्र...आधार जो मानूं वह नवकार ही था। तब से मेरे मन में नवकार के प्रति अनन्य श्रद्धा पैदा हो गई है। घर आकर बड़ों के आगे बात पेश करते समय आस-पास के सभी आँखों में से बहते पानी को नहीं रोक सके। नवकार मंत्र के प्रभाव से सभी आश्चर्यचकित रह गये। सभी एक ही आवाज से बोल उठे कि "मंत्र छोटा है, किंतु महिमा बड़ी है।'
लेखक -अनिल केशवजी देढिया 14/शील निकेतन, दूसरी मंजिल, एच ऑफ सोसायटी रोड,
ओवरसीज बैंक की गली, जोगेश्वरी (पूर्व) __मुम्बई -400060,फोन नं:- 6343569
1 संसार में सार मंत्र नवकार ।
यहां से चार दृष्टांत के लेखक पू. गच्छाधिपति आ.म. श्री जयघोषसूरीश्वरजी
म.सा. के प्रशिष्य प. पू. मुनि श्री जयदर्शनविजयजी म.सा.
होनी-अनहोनी तो जीवन यात्रा की धूप-छांव है। अंग्रेजी में उक्ति 4-MAN PROPOSES, GOD DISPOSES.
सांसारिक जीवन में गृहस्थ जीवन अंगीकार करने की मजबूरी आयी, किन्तु जिनशासन के प्रति प्रेम से पुष्पित पुण्योदय के प्रभाववश वैवाहिक काल में दस सालों में कुल बारह बार तीर्थयात्रा समूह में करने-कराने के पुण्यावसर आये। सांसारिक सहधर्मचारिणी का सहकार भी
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