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- जिसके दिल में श्री नवकार, उसे करेगा क्या संसार? सीख दी। मित्र ने भी अयोग्य जीवन छोड़ दिया। असभ्य विचार त्याग दिया। निंदनीय प्रवृत्तियां छोड़ दीं।
अब मेरा मित्र स्नेही बना। अब वह त्रिकाल मंत्राराधना करता है। उसने केवल आठ दिन में आश्चर्यकारी घटनाएं अनुभव कीं। वह इस प्रकार थीं।
पहले जो पुत्र-परिवार उससे बात नहीं करता था, उसके सामने नहीं देखता था, वह परिवार सुख-दुःख के समाचार पूछने लगा। पेट भर के प्रेम से खाना देने लगा।
दूसरा-पहले जो वह सारा दिन बिना मालिक के पशु की तरह भटकता था। दुकान-दुकान की ठोकरें खाता था। बेकार, बिना लगाम जीवन जीता था, अब उसे अच्छा काम मिला। अच्छा नाम मिला। वह बुद्धि का प्रयोग करते ही दो पैसे बचाने लगा।
तीसरा, घर के द्वार पर गाय-भैंस बंधी हुई थी, वह जब-जब बछड़े को जन्म देने वाली होती, तब सर्प-नागराज दर्शन देते। दूध पीकर चले जाते, किन्तु आज अचानक नागराज पधारे। जाने के लिए बहुत उपाय किये, किन्तु वह नहीं गये। दूध पीने के लिए रखा, लेकिन नहीं पीया। पकड़ने के लिए प्रयत्न किये, लेकिन नहीं ही पकड़ाए।
अब! क्या करें? सभी घबराये। वहीं मित्र को मंत्र का स्मरण आया। पूरे परिवार को विनति की कि, "दूध का कटोरा लाओ और शांति से बैठ जाओ। मैं मंत्र पढता हूँ।" मित्र ने शांत चित्त से निर्मल हदय से, पवित्र मन से नवकार मंत्र का ध्यान किया। आश्चर्य की बात! नागराज तुरंत शांति से चले गये। परन्तु थोड़ी ही देर में अपने परिवार के साथ चार की संख्या में पधारे। उस समय भी मित्र ने, पूर्व · की तरह महाप्रभाविक मंत्र का एकाग्रचित्त से ध्यान किया और नागराज चले गये।
बात तो बहुत लम्बी है किन्तु...नवकार के कारण पंजाबी धर्म के मार्ग की और मुड़ा। नवकार के स्मरण से वह पवित्र शुद्ध बना। नवकार के ऊपर की श्रद्धा से पंजाबी को नया जीवन जीने की राह मिली। यही
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