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- जिसके दिल में श्री नवकार, उसे करेगा क्या संसार ?
असर होता है।
अनेक बार सगे- सम्बंधियों के अन्तिम समय पर उनके मस्तिष्क पर हाथ घुमाते नवकार गिनने से असह्य वेदना तुरन्त शान्त होकर, वे अत्यन्त ही समाधिपूर्वक पण्डित मृत्यु को प्राप्त किये हों, वैसे अनुभव हु हैं।
वास्तव में शास्त्रों में नवकार महामंत्र की जो महिमा बताई गयी है, उसमें जरा भी अतिशयोक्ति नहीं है। श्रद्धापूर्वक महामंत्र का स्मरण करने से आज भी उसकी महिमा का अनुभव किया जा सकता है, ऐसा मैं उपर्युक्त अनुभवों से विश्वासपूर्वक कह सकता हूँ।
लेखक : विधिकार श्री नरेन्द्रभाई रामजी नन्दु विभा सदन, सहकार रोड़, जोगेश्वरी (वेस्ट) मुम्बई - 400102 दूरभाष : 6208524 (नि.) 6285014 (दुकान)
= नवकार मन्त्र ने बचाया
(राजकोट से प्रकाशित होते हुए "परमार्थ" मासिक के ई. स. 1986 जुलाई मास के अंक में से साभार उद्धृत - सम्पादक)
शंखलपुर गांव। इस गांव के दक्षिण में 5 किलोमीटर दूर वर्षों पुरानी गुफाएं थीं। ये गुफाएं असंख्य कारीगरों ने इस प्रकार पत्थर में से कुरेदी होंगी मानो, अजायबघर जैसा लगता है । गुफाओं में नाना प्रकार, के पत्थर के रथ, सूर्यरथ, नटराज, शंकर का तांडव नृत्य, कई ऋषियों, चौबीस तीर्थंकरों एवं अन्य कलाकृतियां तराशी हुई थीं। ये सभी मूर्तियां पहाड़ में ही कुरेदी हुई थीं। एक स्थान पर सभामण्डप । इस सभामण्डप में बत्तीस खम्भे । चाहे उस स्थान से उन्हें गिन सकें। परन्तु वास्तविकता यह थी कि कोई भी खम्भा एक-दूसरे का बाधक नहीं था। गुफा की रचना ऐसी थी कि, जिस रास्ते से यात्री जाते हैं उसी रास्ते से वापिस आना पड़ता। प्रवेश द्वार ऐसा था कि, सामान्य रूप से यात्री जाने की हिम्मत भी न करें। क्योंकि, इस गुफा के मुख्य द्वार के ऊपर हजारों मणों की एक
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