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-जिसके दिल में श्री नवकार, उसे करेगा क्या संसार? - मैली विद्या निष्फल हुई
एक बार में नवपद जी की ओली में जोगेश्वरी संघ के लोगों के आग्रह से श्रीपाल रास पढ़ता था। उस दौरान एक दिन एक अधेड़ उम्र की बहिन मेरे पास आई और आंखों में आंसू के साथ हाथ जोड़कर मुझ से माफी मांगने लगी।
मैं तो अचानक यह दृश्य देखकर आश्चर्य में पड़ गया। क्योंकि मैं उस बहिन को पहचानता ही नहीं था। उसी प्रकार उनका मेरे साथ कोई बुरा व्यवहार भी नहीं हुआ था। इसलिए बड़ी उम्र की इन बहिन को मेरे समक्ष हाथ जोड़कर माफी मांगते देख मुझे बड़ा दुःख हुआ। मैंने उनसे माफी मांगने का कारण पूछा। तब उन्होंने सरलता से कहा कि, "तेरी ऐसी वक्तृत्व शक्ति देखकर मुझे ईर्ष्या जगी। परिणाम स्वरूप तुम्हें परेशान करने हेतु तुम्हारे ऊपर मैली विद्या का प्रयोग किया, परन्तु नवकार मंत्र के प्रभाव से तेरा पृष्ठ बल मजबूत होने से इस मैली विद्या का तेरे ऊपर कोई असर नहीं हुआ। परन्तु इस प्रयोग से मैं ही पीड़ा भुगत रही हूँ। अब तो तुम मुझे माफ करो तो ही में इस पीड़ा से मुक्त हो सकती हूँ।"
मैंने तुरन्त उस बहिन से कहा कि, "मेरी तरफ से मैं तुमको माफी | देता हूँ। मुझे तुम्हारे प्रति जरा भी दुर्भाव नहीं है।" यह सुनकर उस बहिन ने मुझसे पुनः गद्गद हदय से माफी मांगकर वहां से विदा ली। फिर तो लगभग प्रतिवर्ष वह मुझ से सांवत्सरिक क्षमापना अवश्य करती रही।
इस घटना के बाद तो नवकार के प्रति मेरी श्रद्धा बहुत ही बढ़ गई और श्री देव-गुरु की असीम कृपा से संवत 2044 तक तीन बार एकासना और ब्रह्मचर्य की प्रतिज्ञा के साथ एक-एक लाख नवकार जाप का अनुष्ठान किया। पहले किसी छोटी सभा में बोलने का मौका आता तो, पैर कांपते थे और नहीं बोला जाता, लेकिन आज नवकार के प्रभाव से ऐसा आत्मविश्वास आ गया है कि, हजारों की भीड़ को संबोधित करते हुए थोड़ी भी हिचकिचाहट नहीं होती है।
विविध पूजन पढ़ाने के अवसरों में भी प्रत्येक स्थान पर खूब सुन्दर
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