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-जिसके दिल में श्री नवकार, उसे करेगा क्या संसार? कि. अभी ही सात-आठ हिरण गिर पड़ेंगे। किन्तु यह विश्वास एकदम झूठा निकला। मानों अदृश्य शक्ति ने हिरणों को बचाने हेतु हाथ लम्बाया हो, उस तरह गोलियां निष्फल गयीं। हिरणों के कानों में जैसे रिवॉल्वर के धमाके गुंजे ही न हों, उस तरह वह वृन्द अपनी मस्ती में मस्त था। ___धमाका सुनते ही खीमजीभाई ने आंखें खोली और सामने जो दृश्य दिखाई दिया उससे उनके आनंद का पार न रहा। उडते पक्षी को गिराने वाले युरोपियनों की यह रिवॉल्वरें नजर सामने रहे हुए निशाने को साधने में निष्फल साबित हुई थीं। साथ में ही हिरणों का बाल भी बांका नहीं हुआ था।
"हारे हुए जुआरी की तरह युरोपियनों ने नजर के सामने ही रहे शिकार को किसी भी प्रकार प्राप्त करने हेतु गोलियों पर गोलियां छोड़ीं, किन्तु सभी निष्फल! खीमजीभाई अभी काउस्सग्ग ध्यान में ही थे। उनको संबोधित कर उन्होंने निराश होकर कहा "चलो अब आगे बढ़ते हैं, कुदरत हमारी सहायता नहीं कर रही है, इसलिए शिकार का हमारा शौक अधूरा ही रह गया। तुमने कोई मंत्र-तंत्र किया लगता है। नहीं तो हमारी रिवॉल्वरें इस तरह कभी निष्फल नहीं जाती हैं।"
सभी ने घोड़ागाड़ी में स्थान लिया। खीमजीभाई ने कहा, "समझाये न समझे, परन्तु हारकर समझे, वह इसका नाम।" युरोपियन मित्रों के समक्ष उनकी रिवॉल्वरों को खिलौने में बदलने वाली अद्भुत शक्ति के रूप में महामंत्र का उल्लेख करने की अनुकूल बात की राह देखते खीमजीभाई घोड़ागाड़ी में बैठे, तब उनके अंतःकरण का प्रत्येक तार महामंत्र का गीत गा रहा था।
लेखक - प. पू. आ. श्री विजय पूर्णचन्द्रसूरीश्वरजी म.सा. -जब महामंत्र रक्षक बनता है।
"कदम-कदम पर प्रतिपल जहाँ खून के आंसु उमड़ें ऐसी कंटक-कंकर भरी राह पर चलने वाला जवांमर्द कहलाता है।" विराट एक