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________________ 85 सन्दर्भ सूची इस प्रकार हम देखते हैं कि महावीर के निर्वाण के पश्चात् श्रमण संघ और सम्प्रदाय अनेक शाखाओं-उपशाखाओं में विभक्त हो गया। जिससे कुछ धार्मिक प्रचार में लाभ हुआ तो कुछ हानि भी। परन्तु एक लम्बे पथ में ऐसा सब कुछ होना आश्चर्य एवं असम्भव नहीं सन्दर्भ सूरी 1. The secred book of the East Vol. XXII, Introduction-Page 24. Jeeoby. 2. बालकाण्ड सर्ग 14, श्लोक 22 3. Indian Antiguary Vol. IX, Page 163. 4. देखें-समयसार, कर्ता-कर्म अधिकार 5. स्वतंत्र कर्ता-लघुसिद्धान्त कौमुदी 6. यः परिणमति सः कर्ता, समयसार कलश 51 7. भगवती आराधना गाथा 70 विजयोदया टीका 8. दशवैकालिक 10/10 9. भगवती आराधना गा. 60 की विजयोदया टीका। 10. मूलाचार अनगार भावनाधिकार गा.2 11. आचारागसूत्र पृ. 210 12. भगवती आराधना गा. 2159-60 13. अहीकादयश्चोदयन्ति-स्याद्वाद परीक्षा 14. वृह्द जैन शब्दार्णव पृ. 4, 15. सागार धर्मामत अ.5. श्लोक 42 16. आचारांग पृ.151 (अमोलक ऋपिकृत अनुवाद) 17. वहीं, अध्याय 9, उद्देश्य 1, सूत्र 4, 18. ठाणांग पृ.561 ( अमोलक ऋषिकृत अनुवाद) 19. भगवान महावीर और महात्मा बुद्ध ले.-बा. कामताप्रसाद जैन 20. वीर, वर्ष 4, पृ.353 21. "अचेलकोऽतिनिच्चलो नग्गो" 1- HO. I|| 245 22. अप्टपाहुड - पृ.114 ( अनन्त कीर्ति ग्रन्थ माला-बम्बई ) 23. मूलाचार-अनगार भावानाधिकार गा.2 की टीका 24. वृहद जैन शब्दार्णव पृ.4 25. रत्न. श्रा. श्लोक 4 26. वीर वर्ष 4, H.201 27. विष्णु पुराण में "दिगम्बरो मुण्डो वर्हपत्रधरः (5-2) पद्मपुराण-(भूमिखण्ड अध्याय 66 ); प्रबोध चन्द्रोदय नाटक अंक 3 "दिगम्बर सिद्धान्तः, पंचतंत्र" एकाकी" 28. अप्ट पाहुहु पृ. 200
SR No.032455
Book TitleJain Shraman Swarup Aur Samiksha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYogeshchandra Jain
PublisherMukti Prakashan
Publication Year1990
Total Pages330
LanguageHindi
ClassificationBook_Gujarati
File Size25 MB
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