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सन्दर्भ सूची
169 132. यो यति धर्ममकथयन्नुपदिशति गृहस्थ धर्ममल्पमतिः ।
तस्य भगवत्प्रवचने प्रदर्शितं निग्रहस्थानाम्।। पुरुषार्थ सिद्धयुपाय श्लोक 18 ।। 133. उत्तराध्ययन सूत्र : एक परिशीलन पृ. 249-50 134. समन्वय वाणी अंक 5-6 वर्ष, 7 मार्च 87 135. बोध पाहुड गा. 54 . 136. महापुराण 38/151 137. उत्तराध्ययन सूत्र : एक परिशीलन पृ. 25 138.भगवती आराधना-तिजयो. 77/207/10; यो.सा.आ. 8/52/1; आचार सार
श्लोक 11 प्रवचनसार गा. 225 की जयसेनाचार्य टीका, पृ. 435 भावनगर
प्रकाशन। 139."आज (दैनिक समाचार पत्र) कानपुर संस्करण, 1 जनवरी 87-"युवा जैन साध्वी
की साधना की डगर से खुला विद्रोह, मैं अब गृहस्थ बनूंगी"; समन्वयवाणी,
सम्पादकीय, अंक मार्च 1987 140.जबरन मुनि दीटा (डॉ. सुरेश की पत्नी का व्यथा भरा पत्र प्रकाशित) जैन सन्देश
2 दिसम्बर 1982 141. मुनि जिनविजय अभिनन्दन ग्रन्थ 142. पिच्छि कमण्डलु, पृ. 57 संस्करण 1964 143. मोक्षलक्ष्मीस्वयंवरमण्डपभूतजिनदीमाक्षणे मंगलाचारभूतया अनन्तज्ञानादि सिद्धगुण
भावनारुपया सिद्धभक्त्या----- । प्रवचनसार गा. 3 की जयसेन टीका 144. बोध पाहुड गा. 42-44 145. अष्टाविंशति भेदमात्मनि पुरा संरोप्य साधोव्रतं, साक्षीकृत्य जिनान् गुस्नपि। सज्जन - चित्त वल्लभ श्लोक 13 146. सज्जनचित्त वल्लभ श्लोक 13 की टीका (टीकाकार योगश चन्द्र जैन) 147. महापुराण 39/159-60 - ग्रहोपरागे - नेच्छन्ति कृतबुद्धयः । 148. महापुराण 17/200, "ततः पूर्वमुखं स्थित्वा कृत पंच नमस्क्रियः । केशान्
लुण्चदाबद्धफ्ल्यड़क पंचमुष्टिकम्" 149. स्याद्रदमंजरी 31/339/12 150.पूर्व दिन भोजन समये भाजनतिरस्कार विधि विधाय आहारं गृहीत्वा चैत्यालये - आगच्छेत् । ततो ---- । वृहद्दीक्षाविधिः, क्रियाकलाप पुस्तक पृ. 333 151.रिक्त स्थानों पर वर्ष, मास, पक्ष, तिथि, ग्रहण करना अभीष्ट है। "आचार्य
परम्परायां" में गुरुओं की नामावली शिष्यपरम्परानुसार बोलते हुए दीक्षार्थी का
मनिपद से अभिप्रेत नाम पढ़ा जाता है। 152. तत्वार्य सूत्र 7/15 153.भगवती आराधना गा. 97; सकलकीर्ति कृत धर्मप्रश्नोत्तर-अवपिच्छिकागुण ----
पिच्छिकाय जिनोटिताः ।