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________________ सन्दर्भ सूची 22. तत्वार्थ सूत्र 7/5 23. आचारांग सूत्र - द्वितीय श्रुतस्कन्ध अध्ययन 15, सूत्र 780 / 82, पृ. 406, ब्यावर प्रकाशन । 24. आचारांग चूर्णि मू. पा. टी. पृ. 280 आवश्यक चूर्णि, प्रतिक्रमणाध्ययन पू. 143-147 25. नियमसार गा. 58; आचारसार श्लोक 18 26. संगृहीतानि चात्मवशीकृतानि च क्षेत्रवास्तुधन धान्य पुस्तकोsपकरणच्छात्रादीनि तेषां सर्वेषां नादानं न ग्रहणं आत्मीयकरणं विसर्जन - मूलाचार टीका पृ. 13 ( ज्ञानपीठ प्रकाशन ) 27. मूलाचार पृ. 14 28. अनगारधर्मामृत पृष्ठ 268 से उद्धृत 29. अनगारधर्मामृत 4/56, पृ. 268 ( ज्ञानपीठ प्रकाशन ) 30. अनगारधर्मामृत 4/56, पृ. 268 ( ज्ञानपीठ प्रकाशन ) 31. वही 4/57 32. वही, पृ. 270 33. भगवती आराधना पृ. 880-81; उत्तराध्ययन 19,18; दशवैकालिक 4. 13 34. अनगारधर्मामृत 4 / 58, पृ. 271 35. भगवती आराधना श्लोक 885-887; अन. ध. 4/61 165 36. नियमसार गा. 59; मूलाचार गा. 8 37. मूलाचार गा. 8 की आचार वृत्ति पृ. 14: आचारसार श्लोक 59 38. तत्वार्थ सूत्र 777 39. भगवती आराधना गा. 93 की टीका 40. मूलाचार 4/179, वृत्ति सहित 41. मूलाचार 4 / 177, वृत्ति सहित 42. वही 4/180, 10 / 61 वृत्ति 43. भगवती आराधना 333-36 44. इत्थीस्वं गिरावेक्खं मूलाचार 10/101 45. भगवती आराधना-गा. 334, 338 46. उत्तराध्ययन 16.1 (गद्य) दस बम्भचेरसमाहिगणापन्नता 47. "मूर्च्छा परिग्रहः " तत्वार्थ सूत्र 7/16 48. पुरुषार्थ सिद्धयुपाय श्लोक 111 49. उक्यरणदंसणेण तस्सुवजोगेण मूच्छिदाए य । लोहस्सुदीरणाए परिग्गहे जायदे सण्णा ।। गो. जी. गा. 138 50. मूर्च्छारूपरागादि परिणामानुसारेण परिग्रहो भवति, न च वहिरंग परिग्रहानुसारेण" - प्रवचनसार पृ. 420, पं. 14 भावनगर प्रकाशन संस्करण सं. 2035 51. मूलाचार गा. 9
SR No.032455
Book TitleJain Shraman Swarup Aur Samiksha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYogeshchandra Jain
PublisherMukti Prakashan
Publication Year1990
Total Pages330
LanguageHindi
ClassificationBook_Gujarati
File Size25 MB
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