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दृष्टांत : ९६ खमवा किसायक सेंठा है। कितरा यक दिनां वेदौ कीयो, पछ वाबेचा लातर गया।
* बेदौ मत करो पज्जुषण में इन्द्रध्वज काढयौ। सो स्वामीजी रा मुंढा आगै घणी बेळां ऊभा रही गावै बजावै तांन करै। जद केइ श्रावक वाबेचा सूं बेदौ करवा लागा जद स्वामीजी कह्यौ-बेदौ मत करौ। यांने मत वरजौ। कारण ए प्रतिमां नै भगवान मांन है सो के तौ भगवान कनै करै, अनै के भगवान रा साधां कनै करै।
जद वाबेचा बोल्या-ए तौ समी-समी विचारै । इम कही चालता रह्या।
९६. सोभाचंद सेवग निरापेखी है नाडोलाई रौ सोभाचंद सेवग, तिणनै वाबेचां पाली मै कह्यो - भीखणजी खैरवै है सो त्यांरां अवर्णवाद विश्वर जोड़ । सतरै प्रकार नी पूजा रचे है तिण मांहि सूं तोनै दस बीस रुपीया देसां ।
__जद सोभाचंद बोल्यौ-भीखणजी सूं बात करने पछै विश्वर जोड़सं । इम कही खैरवै आयो । स्वामीजी ने वंदना कीधी । स्वामीजी बोल्या-थारो नाम सोभाचंद ?
जद ते बोल्यौ-हां महाराज ! वली स्वामीजी पूछ्यौ-तूं रोड़ीदास सेवग रो बेटौ ? ते बोल्यौ-हां महाराज!
पछै सोभाचंद बोल्यौ-आप भगवान नै उथापो हो ए बात आछी न कीधी।
जद स्वामीजी बोल्या-म्हे तो भगवान रा वचनां तूं घर छोड़ साधपणौ लियौ सो म्हे भगवान ने क्यानै उथापां?
वले सोभाचंद बोल्यौ--आप देवरौ उथापो।
जद स्वामीजी बोल्या-देवळ रौ तौ हजारां मण पथर हुवै । म्है तो सेर दोय सेर पिण क्यांनै उथापां?
जद ते बोल्यौ---आप प्रतिमां उथापी प्रतिमां ने पथर कहौ।
जद स्वामीजी बोल्या- म्हे तो प्रतिमां नै क्यानै उथापां? म्हारै झूठ बोलवा रा राँस है । सो म्हे तो सोनां री प्रतिमा नै सोनां री, रूपा री नै रूपा री, सर्वधात री प्रतिमां ने सर्वधात री कहां, पाषाण री प्रतिमां ने पाषाण री कहां । इम सुण सोभाचंद घणौ हरख्यौ। अहो ! अहो ! इसा पुरुषां रा हूं अवगुण किम बोलू? इसा पुरुषां रा तौ गुण करणा चाहिजै ? इम विचार दोय छंद जोङ्या । स्वामीजी नै सुणाय वंदना कर पाली आयौ ।