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भिक्षु दृष्टांत ९५. अिसौ अन्याय तो म्हे न करां . पाली में स्वामीजी चौमासौ कीधौ जद बाबेचां हाट रा धणी ने कह्यौ-तोने भाडो दूणौ द्यां तूं हाट म्हांनै दै। जद हाट रौ धणी बोल्यौअवारू तौ स्वामीजी उत- है, सो आखी पेढी रुपीया सूं जड़ देवौ तौ ही न छ । स्वामीजी विहार किया पछै भलाइं लीज्यो। पछै बाबेचां जेठमलजी हाकम कनै जाय कूचियां न्हाखी'। कह्यौ–कै तो भीखणजी रहसी के म्हे रहस्यां।
जद हाकम बोल्यौ-इसौ अन्याय तो म्हे न करां। बसती मै तौ वेश्या कसाई पिण रहै त्यांने ई न काढां। तो भीखणजी नै किम काढां ?
हाकम दृष्टांत दियौ-विजयसिंहजी रौ राज है मोती बाळदीयौ, तिणरे लाख बळद तिण सू लखी बाळदीयौ बाजतौ । ते लूण लेवा मारवाड़ आवतौ। ते लोकां रा खेत भेळे। जद जाटां विजयसिंहजी कनै पुकार करी-मोती बाळदीयौ म्हारा खेत भेळे । राजाजी बाळदीये नै कह्यौ-जाटां रा खेत भेळ मती। जद मोती बोल्यौ-हूतौ आवसू जद यूं हीज हुसी। राजाजी कह्यौयं ही होवे तो म्हारे देश में आ मती। म्हारै लूण है तौ दूजा बाळदीया घणाई आवसी । अन्याय तौ करवा देवां नहीं।
तिमहीज जेठमलजी कह्यौ-थे जास्यौ तौ और व्यापारी आंण वसावसां पिण साधां ने काढां इसौ अन्याय तो म्हे न करां। जद बाबेचां कूचियां लेई आप आपरै घरे गया। उपाय नहीं मिल्यौ।
• म्हे तो अबे दान देवां नहीं हिवे बाबेचां ब्राह्मणां ने कह्यौ-थान म्हे दान देवां तिणमै भीखणजी पाप कहै छै । म्हे तो अबे दान देवां नहीं।
जद ब्राह्मणां स्वामीजी नै आय कह्यौ-म्हांनै दीयां आप पाप कहौ सो बाबेचा म्हांनै देवै नहीं।
जद स्वामीजी कह्यौ-थांन वाबेचा पांच रुपीया देवै तौ पिण म्हारै नां कहिवा रा त्याग है।
जद ब्राह्मणां वाबेचा नै आय कह्यौ-बापजी पांच रुपीयां रौ हुकम कीयौ है । इम सुण वाबेचा घणां फीटा पड़या।
० परिषह खमवा किसायक सैठा स्वामीजी राते बखांण वाचै जठे वाबेचा ढोलक बजावै, गाव, बखाण में विघ्न पाई। जद भायां कह्यौ-महाराज ! दूजी जायगां उतरौ।
जद स्वामीजी बोल्या-खेतसीजी नव दीक्षित है सो देखा परीसह १. पछे वावेचा हाकम कन, हाकम रो नाम जेठमल जी तिणा कनै जा कुंचियां नाखी (वचित्)।