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________________ ३२ भिक्खु दृष्टात पाणी सूं उणरा पग धोवाया । आछी तरै भोजन करने जीमावै। कनै बैठी समाचार पूछ । साहजी डीलां मैं कीसायक छै ? सुखसाता है ? साहजी कठे पोहढे है ! कठे वेस है ! कासीद जिम-जिम समाचार कहै तिम-तिम सुणनै घणी राजी हुवै। पिण कासीद में देखनै राजी हुवा रौ कारण धणी रा समाचार कहै तिण सू ।' तिम म्हें भगवान रा गुण बतावां छां, संसार मोख रौ मारग बतावां छां । तिण कारण लोग लुगाई म्हांसू राजी हुवै छै । ८८. सो कुण देख्या वले केलवा मै ठाकुरां पूछा कीधी--आप आगला तथा गया काल नां लेखा बतावौ छौ सो कुण देख्या है ? जद स्वामीजी पूछ्यौ-थारा बाप, दादा, पड़दादा आदि पीढीयां रा नाम तथा त्यांरी पुराणी बातां जाणौ हौ सो किण देखी है ? जद ठाकर बोल्या-भाटां री पोथ्यां मैं बड़ेरां रा नाम वारता मंडी है तिण सूं जाणा हां। जद स्वामीजी बोल्या-भाटां रे झूठ बोलण रा सूंस नहीं। त्यांरा लिख्या पिण थे साचा जाणी हौ तौ ज्ञानी पुरषां रा भाख्या शास्त्र झूठा किम हुवै ? उवै तौ साचा ही है। इम सुणनै ठाकुर घणां राजी हुवा-भला जाब दीधा । ८९. आपरो करणी मोटो है ढंढार मैं एक गाम स्वामीजी पधारचा, जद ठाकुर अधेली रा टका पगा मैं मेल्या । जद स्वामीजी बोल्या-म्हे तो टका पइसा कांइ ल्यां नहीं। __ जद ठाकर बोल्यौ-आप मौहर लायक हो पिण म्हारी पोहच इतरी ज है । अबकै पधारसौ जद रुपइयो निजर करतूं। जद स्वामीजी बोल्या--म्हे तौ रुपीयौ मोहर आदि काइ न राखां । इम सुण नै ठाकर घणौ राजी हुवौ। गुणग्राम करवा लागौ-आपरी करणी मोटी है। ९०. समदृष्टि रै पाप लागै ? पुर में स्वामीजी कनै गुलाब ऋषि दोय जणां सूं. भेषधारयां रा श्रावक घणां साथे लेइ नै चरचा करवा आयो। भेषधार्यां रा श्रावक ऊंधा अवळा बोलै। ___ जद स्वामीजी बोल्या-होळी मैं राव बणाय साथै गेहरीया तमासा रूप हुवै । ज्यूं थे यांने तो राव बणाया नें थें गेहरीया ज्यूं बणीया दीसो हो । पिण १. ते धणी रा समाचार रा जोगस्यूं ।
SR No.032435
Book TitleBhikkhu Drushtant
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayacharya, Madhukarmuni
PublisherJain Vishva harati
Publication Year1994
Total Pages354
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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