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दृष्टांत : ८३-८७
८३. अठ कांइ दुःख थो ? हेमजी स्वामी स्वामीजी ने कह्यौ-तिलोकजी, चंद्रभाणजी, सतोषचंद जी, शिवरामदासजी, आदि टोळा बारै जूजूवा फिरै ते सर्व भेळा होयनै एकठा रहै तौ यांरी ई टोळौ होय जावै।
जद स्वामीजी बोल्या-इसी करामात हुवै तो अठा तूं ईज क्यूं जावै ? अठ काई दुख थौ ?
८४. श्रावक नै समजाय लेवां भेषधारी कह्यौ-भीषणजी कोड़ कसायां बिचै ई खोटा।
जद स्वामीजी बोल्या-उणांरै लेखै तौ यं ही। कारण-कसाइ तो बकरा मारै, उणारौ कांइ बिगाडीयो ? म्हे उणांरा श्रावक समजाय लेवां उणांरी मत खंडत करा छां जिण सूं कहै छै ।
८५. आज तो रहवां हां भीखणजी स्वामी सरियारी तूं विहार करतां सांमैंजी भंडारी पगां मैं पाग मेली बोल्यौ-आज तौ विहार मत करौ। ___ जद स्वामीजी बोल्या-आज तौ रहां छां पिण आज पछै इसी वीणती कीजो मती।
८६. इसी विणती कीजो मती आगरीया सूं स्वामीजी विहार करतां भायां हठ घणी कीधी। पिण स्वामीजी मांनी नहीं, विहार कीधौ । गाम वारे कितीयक दूर गया। भारमल जी स्वामी बोल्या-आज तौ भाया बेराजी घणा हुआ, आप विणती न मानी तिण सूं। ___ जद स्वामीजी बोल्या-आज तौ पाछा चालौ पिण आज पछै इसी विणती कीजौ मती।
८७. भगवान रै घर रा कासीद केलवा मैं परषदा बैठां ठाकर मोहकमसींहजी पूछ्यौ-आफ्नै गाम-गाम री विणतीयां आवै, घणा लोग लुगाइ आपनै चावै, नर-नारी आपने देखने राजी घणां हुवै, बाई भाया नै आप बलभ घणां लागौ, सो कांई कारण? आप. मैं इसो कांई गुण ? ___जद स्वामीजी बोल्या कोई साहकार प्रदेश थौ। तिण घरे कासीद . मेल्यौ । खरची मेली। सेठाणी कासीद में देखनै राजी घणी हुइ। उन्हा