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हेम दृष्टांत जद भारमलजी स्वामी बोल्या-अठा री द्रौपदी तो धातकीखंड रा भरत मै ले गया अन धातकी खंड रा भरत मै द्रौपदीकुण थई नै, अठे कुण आणी ? इण न्याय सारी बातां एक सरीखी रौ करार नहीं।
. ३१. त्याग क्यूं भंगाबो ? आमेट में टीकमजी री चेलौ जेठमल तिणं सू बात करतां हेमजी स्वामी कह्यौ-कलाल रौ पाणी ल्यावा रा तो त्याग करो।
जद जेठमल बोल्यौ–हूं न ल्यावू । जद हेमजी स्वामी बोल्या-न ल्यावो तो त्याग करौ।
जद जेठमल बोल्यो-म्हारे तो त्याग है । ठिकाणे गयां टीकमजी बोल्या ए-त्याग क्यं कीधा ?
जद पालो आय बोल्यौ-हेमजी म्हारे मेवाड़ मै त्याग है। पिण मारवाड़ मै कोई नहीं।
जद हेमजी स्वामी बोल्या-शील आदि अनेक बीजा सूस पिण इण लेख मेवाड़ मै छै, अनै मारवाड़ मै नहीं । पहिला त्याग करतां आगार राख्यौ नहीं ते त्याग भांगणौ नहीं । पछै टीकमजी मिल्या । जद कह्यौ--हेमजी ! छळ करनै संस करावणा नहीं।
जद हेमजी स्वामी बौल्या-कलाल रां पाणी रा त्याग कीया सो आछौ काम कीधौ । ते त्याग थे क्यूं भंगावौ ।
३२. चरचा इसी करता तो किसायत दोसता ?
सरबार बारे नानगजी रौ हीरालाल मिल्यो । तिण पूछ्यौ-नव पदार्थ में अस्ति भाव केता ? नास्ति भाव केता ? अस्ति नास्ति भाव केता?
जद हेमजी स्वामी बोल्या-इण चरचा रौ हूंजाब देऊ छू अनै जो कहीसौ थे आ चरचा न आई, तौ सूत्र बतावणौ पड़ेला।
जद हीरालाल बोल्यौ-थे कहो साधु ने किंवाड़ जड़णो नहीं इत्यादिक अनेक बोल कहो, सो सर्व सूत्र में मंड्या है ?
जद हेमजी स्वामी बोल्या-म्हे तो किंवाड़ जडणौ (चूलिया नो) निषेधां छां सो सूत्र में काढ़ बतावां।
जद हीरालाल बोल्यो-थे सूत्र में कांई बतावो, गये काले अनंता साधां किंवाड़ जड़िया वर्तमान काले अनंता साध किंवाड़ जड़े है, आगमिया काले अनंता साध किंवाड़ जड़सी।
जद हेमजी स्वामी बौल्या-गये काले अनंता साधा किंवाड़ जडिया कही छौ सो थां सरीखा अनंता जड़ीया, आगमिये काले पिण थां सरीखा अनंता जड़सी, पिण थे कह्यौ-वर्तमान काले अनंत जड़े है सो वर्तमान काले