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वरंगचरिउ
13 गय पोरिसह णिवइ किं किज्जइ अवजस भायणु जणि पाविज्जइ। जसविहीणु खलु सचय समाणउ जीवं तोवि मुयउ चिर माणउ। जइ पुणु लब्भइ जमयहु सासणु तो पुणु जसु जणु करइ पयासणु। अह सुरतिय पाविज्जइ सग्गहो जइ सुह मरणु होइ रणमग्गहो। भो णिव खत्तिय-वित्ति धरिज्जइ कइ मारिज्जइ कइ वि मरिज्जइ। कायरु होइविकित्तिउ अच्छहि पुणु वि मरिव्वउ जइ सुहि गच्छहि। महु वयणइ पमाणु जणि किज्जइ कलहु करिवि रिउ रणि घाइज्जइ। इय णिसुणेविणु जणवइ वुच्चइ मंतिय तुज्झ वयणु महु रुच्चइ ।। तहि अवसरि दाविउ सरु पट्टणु णरवइ चल्लिउ रिउदल वट्टणु। सुणिवि सद्दु वरतणु आघोसइ किं यहु डिंडिमु कारणु पोसइ। पभणइ इक्कु णिवइ देवाविउ सुहड समूहु तेहि मणि भाविउ। देवसेणु संगरु धारेसइ
पच्छइ को जाणइ किं होसइ। घत्ता - ता वयणु सुणिवि मणि चिंतवइ, इहु' माउलउह मारउ।
हउं करमि कज्जु एयहो' तणउ, होसइ सुसरु महारउ।।१४।। खंडयं- इय चिंतवि जिणभत्तउ, वणिवर पुरइ पहुत्तउ।
पुणु वणिगउ सुय लेप्पिणु' अक्खिउ णिवइ णवेप्पिणु" ।।१४।।
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देव देव इहु कोवि पएसिउ आसियालि वणिवरगणु रक्खिउ भवणि महारइ अच्छइ भल्लउ पिक्खु-पिक्खु इहु सुंदरु माणउ सुणिवि वयणु णयणहि अवलोयउ णिउ चिंतइ इहु को विज्जाहरु अहवा भायणेउ महु केरउ
मइ जणिधम्मपुत्तु उवएसिउ। सो चिर तुम्हइ णिहिलु समक्खिउ । भंजेसइ अरिबल एकल्लउ। वरगोहाण गोहु पुणु राणउ। वार वार वरतणु तहि जोयउ। कवडत्तु' वि अच्छइ वणिवइ घरु। महु मणणयणाणंदु जणेरउ।
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1.N, पोरिसहं, A,K, पेरिस, 2.N, पुहइ, A, पुघइं K, पुहवइ 3. A, N, सवय 4. A,K, इहुं 5. N, माउलउहं 6. A, उयंहो 7. A,K,N, लेपिणु 8. A, K,N, णवेप्पिणु 1. A,K,N, कवडतू