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वरंगचरिउ हा विहिणा हियवउ वज्जु' घडिउ सयक्खंडहो वि यहि किण्ण पडिउ।
हा पइ विणु भग्गी छत्त-छाय कहि गउ कहि गउ पियकरणि राय। घत्ता- अम्हह तुव विलाससर हंसु व कीडंतउ उवरि।
किण्ण' गहि किण्णा गहि भणिवि हियवउ कुट्टहि णियय करि।।६।।
खंडयं- कवि उत्तमतणु ताडए, कवि सिररुह महि पाडए।
कवि कंकणवलहारयं महियहि' चित्त सुहारयं ।।छ।। कवि महि णिवडिय विहलंघ गत्त वरद्दत्त विउय हुयास तत्त। चेयण मुच्छा हुय वार-वार तिय वि लवंतिय णाणापयार। उटुंत पडंतिय सुण्ह तेवि गुणदेविय गय णिवपुरइ लेवि। सयलु वि अंतेवरु सयलु लोउ सयलु वि भडमंतिय कय विवेउ। जहि घायउ तववलि मोहु-मल्लु जहि हणिउ पयंडउ तिक्कसल्लु । हरिसुउ मारिवि किउ खंडु खंडु जो जम-मयगल-केसरि पयंडु। जे परमरिसी सरणमहि' पाय जहि दुद्धर णिहणिय रोसराय। जो सुहयरु संभव कय विर्डय कम्मारि हणिय णिच्चल पर्डय। जोवरकेवलपउमाणिवासु
जहि जणि पयडिउ सम्मइ पयासु। जहि महियलि विहियउ धम्मतित्थु जहि सेवंतह हुइ णरु कयत्थु। जो तिण-कंचण कय सरिस भाउ रिउ-मित्त उवरि णिम्मलसहाउ। जो दोस्सट्ठारह रहिउ वीरु
जहि लद्धउ चउगइ जलहि तीरु। तहो चेइहरि गउ धम्मसेणु जणपरियरियउ हय वयरिसेणु। सयलहि वंदिउ जिण पडिमबिंबु णिय तेयइ जियससियक्कबिंबु। जय जयसद्दहि णाणापयार थुय करिवि हरिवि मलु भवअसार।
7.N, वजु 8. A,K,N, किंण्ण 9. A,K,N, पियकरिणि 10. A,K,N, अंम्हहं
11. A, K,N, किंण्णा 12. A,K,N, किंण्णा 1. A, मंहियलि 2. N, गुणदेविंय 3. N, खंड 4. A, मूहि 5. A, K, N, णिमल 6. A,K,N, चेई
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