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वरंगचरिउ हा हा भोयरायकुलमंडणु
पइं विणु को परचक्किय भंडणु। दुद्धरु जिणि जयसिरि को पावइ पई विणु दुज्जण को आयावइ । एहि-एहि सुय-सुय तुहं पिक्खहि णियपरियणु रोवंतउ रक्खहि। पई विणु पुरवरु गहण समाणउ को अवलोवमि पय समु माणउ । हा हा सुय पई विणु किं किज्जइ तो वर जीविय पाणिउ दिज्जइ। णयणंसुय जलेहि तणु सित्तउ णं विहिणा णिज्झरणु विहित्तउ। हा हा पई विणु खडरसभोयणु विसरिव भासइ जीविय मोयणु। पई विणु जल तंबोल वि लेवणु दाहुप्पज्जइ कय अइवेयणु। इय विलवंतउ हुयउ अयाणउ वार-वार मुच्छिज्जइ राणउ। सोयाउर मुणेवि पुरराणउ.
लोउ सयलु णिवगेहि पराणउ । पुणु अवलोयवि सोयइ' भिण्णउ पुरयणु कवणु-कवणु णवि रुण्णउ। भड-सामंति-मंतगणु पत्तउ
जहि भूवइ अइसोयारत्तउ। भणहि मंति भो भो परमेसर सुणि-सुणि णियपयकमल दिणेसर। घत्ता- मा करहि सोउ महिराउ तुहु जणवय सयल गरिट्ठउ।
पई सोउ करंतहा जणु सयलु वहु दुहु लहइ अणिट्ठउ ।। खंडयं- जं जं किं पिउ वण्णय, धण-जोवण-सुय वंधयं ।
तं तं सयलु वि भंगुरं, अण्णु वि पिक्खहि मंदिरं ।।२।।
सोउ ण किज्जइ गुरु' दुहदायणु । सोयइ जइ वरंगु घरि आवइ सोयइ लीणउ तिरिय समाणउ सोयउ मग्गामग्गु ण पिक्खइ सोयवंतु आयावइ अप्पउ सोयउ हेयाहेउ ण याणइ सोयं जसकित्ती मइलिज्जइ जिणसासणि सोउ वि अवगण्णिउ
सोयं लब्भइ दुग्गइ भायणु। तो जणु सव्वु मिलिवि धाहावइ । अइसोएण हवइ गय पाणउ। सोयउ णउ गिण्णइ वर सिक्खइ। सोयवंतु ण मुणइ परमप्पउ। सोयउ लहइ लोय अवमाणइ। सोयं अप्पइ अप्पउ खिज्जइ। किं किज्जइ णिव अम्हह' भण्णिउ।
2. N, पइ 3. A,K, पइ 4. N, सोयइं 5.N, करंतहं 1. A, K, N, गुर 2. K, सोयइं 3. A, K, N, अम्हहं
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