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वरंगचरिउ राउ वि ण वियाणइ णियमणम्मि गय अच्छंतहं कइवइ दिणम्मि। तत्थागय' हरिवर वे रवण्ण परपुण्ण अंगु णवि चारु कण्ण। इक्कहि णरवइ णेहेणवद्ध जुवरायहु दिण्णिय तणु सणिद्ध । ते हयवर अवलोए वि राउ ण वियाणहि चलवलगयहि भाउ। को हयवर सिक्खा मुणइ चारु तहु अप्पिज्जहि वररुवधारु' । तो मंति सुबुद्धे भणिउ एउ हउं जाणमि हरि सिक्खा विवेउ। पुणु कुमरें तहो जि समप्पियाइ लइ आणहि सिक्खा कप्पियाइ । हयवर गहेवि मणि कूरमंतु णियगेहि परायउ सो तुरंतु। घत्ता- इक्कहि दरसाविय कुडिलगइ अवरुवि किद्धउ सरलउ । कुडिलु पेरंतहं वाहुडइ अकुडिलु गच्छइ तरलउ ।।१६।।
20 कुडिलु वि रक्खंतहं णउ रहइ अकुडिलु णियगइ सरलउ वहइ । इम सिक्खइ दाविय वरतुरंग जुवरायहु दरसाविय सुरंग। फेरिउ तुरंगु गइ सरल मंति उप्परि आरुहिवि वि तहि तुरंति। मंतिय पवंचु अमुणंतु राउ तुरयहि आरुढउ कुडिलभाउ। फेरइ इच्छत्थु वरंगु जाम हरिवरु चल्लिउ उम्मग्गि' ताम। जिम जिम हरिमुह कडियलु धरेइ तिम तिम अग्गइ-अग्गइ सरेइ । रक्खिउ-रक्खिउ णवि रहइ केम कम्में पेरिज्जइ जीव जेम। सामंत सुहड कुटि लग्गसव्व ण वियाणहि कहि गउ कुमरु भव्व । ते सयल पलट्टिवि णयरि पत्त तुरएण णियउ सुकुमाल सगत्त। चिंतवइ वरंगु ण तुरिउ होइ अम्हहं चिर जम्मह सत्तु कोइ। एवहि महु सरणु ण अत्थि कोइ जिणु मुइवि भडारउ तिरिय लोइ। भउ किं किज्जइ जइ मरणु पत्तु णियमणि चिंतिज्जइ भावियत्तु। गामइ खेडइ सरिसर मुयंतु णिज्जणि वरंगु हरि सहु सरंतु। इक्कहि कूवंतरि पडियवेवि हरि मुयउ कुमरि तरु धरिय तेवि। कम्महं वसेण णीसरिउ सोवि माणसु णवि पिक्खइ तित्थु कोवि। तण्हाइ भुक्ख सोसियउ अंगु कहि पावइ तहि सज्जणह संगु। कहि पंचाणणहं रुउद्द-सद्दु कहि कीलहि वरसारंग सर्दु ।
कहि मयगल जूह करंति जुद्ध कहि भिडहि कोल अइसमरि कुद्ध ।
4. K,तछागय 5. A, K,चीरू 6. A, वद 7. A,K,N, धार 8.A,K,N,कप्पियाई 9. K, गई 20. 1.A,N,उमग्गि 2. K,N, कुढिल 3. A, K,तन्हाइ N, तम्हाइ 4. A, K,रदुद्द 5. K,सद्द A,भद्द