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वरंगचरिउ
109 पुण्यराशि अर्जित होती है। अष्टमी और चतुर्दशी प्रत्येक माह में दो-दो होती हैं। उनमें प्रोषधोपवास व्रत एवं ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए। पापरूप दरवाजा का नाश करने वाले ये पर्व करना चाहिए अथवा प्रोषधोपवास करने से जिनदेव का भक्त होता है। व्रतों का पालन करते हुए इच्छा और भोगों से विरक्ति होना चाहिए।
____घत्ता-व्रतों के बिना मंदिर आते हैं तो सब कुछ असुन्दर है। प्रियवन के सदृश प्रभु को जानो, व्रतों का महत्त्व परिजन और नगर में सुनाओ, क्योंकि यह सम्पत्ति जंगल में शीघ्र ही नष्ट होती है।
17. दान का स्वरूप एवं सल्लेखना दान भी श्रेष्ठ दोषों का त्याग करके, तीन पात्रों को मन, वचन और काय की शुद्धि पूर्वक देना चाहिए। बाप रे! वह दान किस प्रकार प्रवृत्त होता है, जिस प्रकार वटवृक्ष का बीज बड़ा होता है। जो अपात्र को दान किया करता है अथवा कुपात्र को अर्पित करता है, वह सब कुछ ऐसे निष्फल होता है जैसे श्रेष्ठ बीज भी अनुपजाऊ जमीन पर पैदा नहीं होता है, भोग और उपभोग की वस्तुओं की संख्या (परिमाण) करना चाहिए। शीघ्र ही शिक्षाव्रतों को धारण करो, अंत काल में सल्लेखना कीजिए तो आने वाले समय में सुख को प्राप्त करोगे। अन्य व्रतादि के बहुत से भेदों को सुनकर, नृप धर्मसेन श्रेष्ठ धर्म को जानकर, उसके द्वारा आचार को धारण किया जाता है एवं निर्मल मन से व्रतों का परिपालन करता है। किसी के द्वारा देवदर्शन का व्रत धारण किया गया, किसी ने मुनिराज से शिक्षा ली, किसी के द्वारा अणुव्रत धारण किये जाते हैं, किसी के द्वारा शिक्षाव्रत एवं गुणव्रत धारण किये गये। इस प्रकार वे सभी धर्म ग्रहण करके अपने नगर में पहुंचते हैं और मुनिराज तप से शरीर को क्षीण करते हुए विहार करते हैं। इस प्रकार वरांग सुखपूर्वक जिन पूजा, दान, व्रतादि के उत्सव करता है।
घत्ता-कुमार वरांग के गुणों को देखकर, मंत्रियों की उपस्थिति में उसे युवराज पद दिया गया। उसका कलशों से स्नान किया गया और वाद्ययंत्र बजवाये जाते हैं और कुमार को आचरित किया जाता है।
____18. सुषेण की ईर्ष्या ज्योंही पिता ने युवराज पद दिया, वैसे ही कुमार वरांग के ऊपर सुषेणादि सभी पुत्र कुपित हो जाते हैं और मान-भंग होने पर अपने मन में संताप करते हैं। सुषेण कहता है-मुझसे युवराज पद छीना गया है अथवा यह पक्ष उज्ज्वल नहीं है, क्या हमारा बल दुर्बल है। इस अवसर पर जो कुमार वरांग के लिए मंत्रीजन द्वारा घोषणा की गई एवं श्रेष्ठ मंत्रियों के वचनों का पोषण मिला