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वरंगचरिउ
'णिसिभोयणु छंडहु' पावरासि जो णिग्घिणु णिसिभोयणु करेइ णत्तिहि णवि पिच्छइ किंपि वत्थु जलगाणु किज्जइ सयलकाल जो भव्वु दयावरु पुण्णवंतु अणगलिउ णीरु परिट्ठवहु तथ फासुय रखिज्जइ पहर जुम्म उण्होयउ वसुपहराय संख कालिंदालावु अणंतकाय घत्ता - मंखणु परिवज्जहु, पुण्णु समज्जहु, दहि अहवा तक्करइं सहुं । वियलण्णु णर वज्जइ, पावउ वज्जइ, परिपालज्जइ जयणु तहु ।। १५ ।।
तसथावरजीवह सव्वगासि । सो दीह भवावलि संसरेइ । किं अखम्मि वहु पावइ अवत्थु । तहु पुण्णें पावइ सुहविसाल । जुय जुय घडियहि गालइ तुरंतु । वरकूव णिवाणह गहिउ जत्थ । अप्पाणउ वंछहु' सुकिय कम्मु । तह उप्परि उप्पज्जहि असंख । परिचवहु कुसुम भखणु णिराय ।
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गोरसु वियलण्णु सिहीहि तत्तु रिउ रिउ पयार सावय वयाइ पढमउ वउ जीवह' अभयदाणु • तस रक्खहु जयणु करेवि कंख वीयउ असच्चु णवि भक्खियए वसुराउ असच्चहो खयहु गउ रणिरावलि चच्चरमुहि पडिउ णियदारासंतोसियइ मणु अहवा वंभव्वउ धारियए धणधण्णदासदासीसुवण्ण दंडिजइ लोह वि सल्ल दुटु दिगवउ - दिसवउ वि अणत्थदंड सामायउ किज्जइ तिण्णिकाल समया अवलंवणु सो सभाउ ' सो सामायउ कय पुण्णरासि पोसहुउववासु वि वंभचेरु अहवा पोसह सहु एयभत्तु
भक्खिज्जइ भोयणि दोसचत्तु । दिढु करि पालिज्जइ सावयाइ । अणिवत्तहि दिज्जइ अप्पमाणु । थावर रक्खिज्जहु करिवि संख । हिउमिउ वयणुल्लउ अक्खियए । परदव्वु ण लिज्जइतियउ वउ । अणु दिणु ण लिज्जइ महिजडिउ । पररमणी छंडिवि जेम तिणु । अप्पर संसारहि तारियए । परिगहुपमाणु किज्जइ रवण्णु । पंचमउ अणुव्वउ ऐहु' सिद्ध । परिपालहु तिण्णिवि गुणपयंड' । दिणि-दिणि रिउ - रिउ घडियहि णियाल । ट्टझा वज्जिय' अगाउ । दुइ अट्ठमिचउदसि मासि मासि । कय पव्वि पव्वि हय पाववेरु । पालियइ" कंख भोयहु विस्तु ।
3. K,वछु A,वच्छु 4. K, अवत्थू 5. K, पुणुवंतुं
A, N, पुण्णुवं
6. A, कच्छ K, तछ 7. A, वंकहु 16.1. K, रउ 2. A, जीवहं 3. K, द्वंडिजइ 4. K, सल्लहुडु 5.
K, N, एहु 6.K, गुण्णपयंड 7. N, मभाउ 8. K, वजिय 9. N, वभचेरू 10. K, पालियइं