________________
१०. असाड़ा दिन तीन कोरणे महर लहर ल्याया। __छोटा-मोटा ग्राम फरस गुरुवर कोमल-काया।। ११. समंदड़ी-पथ शहर जोधपुर पावस री छाया।
बिद तेरस आषाढ़ सुमुहुरत जन-मन विकसाया।।
'ल्यो जबर झंड स्यूं, पूज्य पधार पुर जोधाण में। पौरुष प्रचण्ड स्यूं, विक्रम उगणीसै साल इकाण में।।
१२. जोधाणै रा श्रावक सारा, अब सामेळो साझै। ___गुरु-पद-प्रेम घटा उमड़ाई, बिन विद्युत बिन गाजै रे।। १३. आला-आला बांध दमाला, रूपाळा रंगाळा।
वरदीवाळा झाक-झमाला, हालै पाळा-पाळा रे।। १४. नान्हा-दाना मन मरदाना, हिलमिल हाल्या जावै। ___अहंपूर्विका अहंप्रथमिका स्यूं दरसण-हित धावै रे।। १५. बीच सचित्र मित्र कोइ पूछ, कीकर आज कठीनै?
अति ताकीद हालिया जावो, हुलसित-चित दृढ़ सीनै रे।। १६. नहीं दिवाळी ना दसरावो, कीकर आ पोशाग?
मारग में पग रोप बतावो, झांझरकै क्यूं जांग रे?
आज आवै रे भैया! आज आवै. आंगणियै गुरु महाराज आवै रे, भैया... म्हारै शासण रा शिरताज आवै रे, भैया... म्हारै तारण-तरण-जिहाज आवै रे।। भैया...
१७. पदयात्रा स्यूं पांगरता, पग-पग जयणां री स्थिति ठावै रे। भैया...
गयवर री गति संचरता, चांदै सूरज-सो तप तावै रे।। भैया... १८. ऊभा तकता बाट खड्या, कद बो दिन आसमान छावै रे।
वांछित पासा आज पड्या, दिल बांसां उछळ-उछळ धावै रे।।
१. लय : म्हारी रस सेलड़ियां २. लय : घोर तपसी हो मुनि!
८४ / कालूयशोविलास-२