SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 78
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ३. मरुधर धरणी सफर-हित, आयो समय स्वमेव । पूज्यप्रवर धर सफर-हित, सकरुण हृदय सदेव ।। ४. शुभ विहार शुभ वार लहि, कीन्हो कृपा-निधान। बिन तेड़े केड़े रहे, सुकृति-कृते कल्याण।। ५. सझण सेव गुरुदेव री, साधु-साधवी सज्ज। वर्णन सतत बखाणतां, अपगत हुवै अवज्ज।। 'पूज्य पधारै मरुधर देशे, संग सबल परिवार रे, भवि! ६. एक-एक मुनि गणिवर साथे, विनय-भाव विख्यात रे। भवि! हेतु खेतु हर टोकर जाणे, समवता साख्यात रे।। भवि! ७. गुरु-इंगित-आकार विलोकै, झोंकै मोकै प्राण रे। आजू आण प्राण इक बाजू, प्राणे काढै काण रे।। ८. एक-एक मुनि गणिवर साथे, विमल विवेक वितान रे। चक्षु-स्फुरण-मात्र लख गुरु रो, पूरण खेंचै ध्यान रे।। ६. एक-एक मुनि गणिवर साथे, विद्या-भांडागार रे। अक्षय कोठो भर्यो अबोठो, बरतै समय विचार रे।। १०. कइ मुनि 'हैम' प्रेमयुत पढ़िया, कइ व्याकरण 'नवीन' रे। सरस 'भिक्षुशब्दानुशासन', इक्षु-स्वाद विलीन रे।। ११. कालु-कौमुदी ‘कालु-कौमुदी', कइ मुनि चतुर चकोर रे। ___रटन पठन-मिष प्रेम गठन-दिश, अहनिशि दृग-युग दोर रे।। १२. नूतन प्राक्तन कठिन कठिनतर, मन्थै ग्रंथ अनेक रे। ___कोविद-कुल रो दिल डोलावै, प्रतिवादी-मद छेक रे।। १३. नामकोश निज नाम होश सम, मेल्यो हृदय मसोस रे। ___दोष अदोष शब्द रो समझी, सेवै सुगुरु सजोश रे।। १. लय : वीर पधाऱ्या राजगृही में २. मुनि खेतसीजी ३. मुनि हरनाथजी ४. मुनि टोकरजी ७६ / कालूयशोविलास-२
SR No.032430
Book TitleKaluyashovilas Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Aacharya, Kanakprabhashreeji
PublisherAadarsh Sahitya Sangh
Publication Year2004
Total Pages420
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size25 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy