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________________ और ही था, पर यहां की स्थिति देखकर हमारे सारे संदेह दूर हो गए ।' कागणी के बाद चार वर्ष तक मातुश्री छोगांजी की संयम साधना निर्विघ्न रूप से चली। इस बीच आचार्यश्री तुलसी की संसारपक्षीय माता वदनांजी की दीक्षा हो गई। मातुश्री छोगांजी और मातुश्री वदनांजी का मिलन प्रसंग भी ऐतिहासिक रहा । वि. सं. १६६७ में मातुश्री छोगांजी ने आचार्य श्री तुलसी के समक्ष अनशनपूर्वक अपनी संयम - यात्रा सानन्द संपन्न की। शिखा - परिचय पूज्य कालूगणी के जीवन वृत्त को पूरे विस्तार के साथ विविध कोणों से प्रस्तुति देने के लिए आचार्यश्री ने राजस्थानी भाषा में कालूयशोविलास का सृजन किया । सोलह-सोलह गीतों वाले छह उल्लासों की रचना करने के बाद भी रचनाकार का मन नहीं भरा। वे उसके जीवन-सिन्धु में पुनः पुनः अवगाहन करते रहे । उस अभीक्ष्ण- अवगाहना की निष्पत्ति है पांच शिखाएं। छह उल्लासों के गीतों के साथ इनका योग करने से कालूयशोविलास के एक सौ एक गीत हो गए । 1 कुछ पाठक विस्तार रुचिवाले होते हैं और कुछ संक्षिप्त रुचिवाले । इतिहास, तत्त्वज्ञान, दीक्षा-विवरण तथा अन्य घटना-प्रसंगों में विशेष रुचि नहीं रखनेवाले तथा अति संक्षेप सरलता से कालूगणी का जीवन पढ़ने के इच्छुक पाठकों के लिए पाँच शिखाओं का अध्ययन बहुत उपयोगी है। 1 प्रथम शिखा में कालूगणी के जीवन की संक्षिप्त झांकी है। इसमें जन्म, दीक्षा, आचार्यों का सान्निध्य, आचार्य पद की प्राप्ति, अध्ययन, जनता पर प्रभाव, चातुर्मास - विवरण दीक्षा - विवरण, शासनकाल, साधु-साध्वियों की संख्या, महाप्रयाण, कालूगणी की दीर्घकाल तक विशेष सेवा करनेवाले साधु-साध्वियों का नामांकन आदि विशिष्ट तथ्यों का संकलन है 1 दूसरी शिखा में कालूगणी के जीवन-वृत्त की कतिपय विशिष्टताओं का आकलन किया गया है।, जैसे- कालूगणी के बारे में भविष्यवाणी एवं स्वामीजी अथवा जयाचार्य का संकेत, दीक्षा का कीर्तिमान, शिक्षा के क्षेत्र में अकल्पित विकास, संस्कृत भाषा में समस्यापूर्तिमय स्तोत्रों की रचना, दीक्षा और संस्कृत शिक्षा के संबंध में कालूगणी के स्वप्न, स्वप्न में भगवती के कठिन स्थलों का अवबोध, लिपि - कला, ग्रन्थभण्डार, विदेशी विद्वानों, राजा-महाराजाओं तथा विशिष्ट राज्याधिकारियों से मिलन, सुदूर प्रदेशों में साधु-साध्वियों की यात्रा, तपस्या, अनशन, धर्मसंघ के सामने उपस्थित कठिन परिस्थितियां एवं उनका समाधान आदि-आदि । कालूयशोविलास-२ / ५५
SR No.032430
Book TitleKaluyashovilas Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Aacharya, Kanakprabhashreeji
PublisherAadarsh Sahitya Sangh
Publication Year2004
Total Pages420
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size25 MB
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