________________
नियति के सामने सब मजबूर हैं। दूध का जला व्यक्ति छात्र को भी फूंक देकर पीता है। हमारे मन में यह आशंका है कि कहीं माणकगणी के इतिहास की उतरावृत्ति न हो जाए। हमारा निवेदन एक ही है कि संघ की परम्परा अविच्छिन्न श्री मगनलालजी की प्रार्थना सुनकर कालूगणी ने कहा- 'आज तक आपकी बात को यों ही लेता रहा। किंतु अब डॉक्टर, पंडितजी और आप के कथन में संवादिता देखकर मुझे भी विश्वास हो गया कि इस शरीर का कोई भरोसा नहीं है। साठ वर्ष की अवस्था, बीदासर की धरती और मातुश्री छोगांजी के सान्निध्य में मुझे अपने युवाचार्य की नियुक्ति करनी है, यह मेरा एक सपना था। पर अब मैं जल्दी से जल्दी सारा काम समेटना चाहता हूं ।
इस संदर्भ में मुनिश्री मगनलालजी और कालूगणी के बीच हुआ संवाद बहुत ही रोचक है । कालूगणी ने भाद्रपद कृष्णा दशमी के दिन कहा कि उन्हें कल ही युवाचार्य का अभिषेक करना है। मुनिश्री मगनलालजी बोले - 'इतना बड़ा काम शुभ मुहूर्त में होना चाहिए।' उन्होंने ज्योतिषी से बात की। भाद्रपद शुक्ला तृतीया का दिन निश्चित हुआ । कालूगणी के लिए इतनी लम्बी प्रतीक्षा असह्य हो रही थी। किंतु मुनिश्री ने जैसे-तैसे उनको आश्वस्त कर अपनी बात स्वीकार करवा
दी
छठे गीत में गुरु-शिष्य के एकांत मिलन और अंतरंग संवाद का भावपूर्ण चित्रण हैं। युवाचार्य की नियुक्ति का निर्णय लेने के बाद पांच दिनों में ही कालूगणी का शरीर बहुत क्षीण हो गया । इस स्थिति से चिंतित हो उन्होंने मुनिश्री मगनलालजी से कहा - 'तृतीया तक इस शरीर का टिकना कठिन प्रतीत हो रहा है । मैं अपने हाथ से अपना दायित्व सौंपकर निश्चिंत होना चाहता हूं।' मुनिश्री मगनलालजी का दृढ विश्वास था कि यह काम तृतीया को ही होगा । इस दृष्टि से उन्होंने निवेदन किया- 'आज पूर्व भूमिका के रूप में अपना काम शुरू करें, पर मूल काम निर्धारित तिथि को ही करना है।'
सोमवती अमावस्या का दिन और विजय मुहूर्त । ठीक सवा ग्यारह बजे कालूगणी ने मुनि तुलसी को याद किया। मुनि तुलसी आए । कालूगणी के निर्देश से हाथ के सहारे उन्हें बिठाया । कालूगणी ने अपने स्वास्थ्य का हवाला देते हुए स्पष्ट कह दिया कि वे अब शासन का भार मुनि तुलसी को सौंपना चाहते हैं । मुनि तुलसी एक अकल्पित बात सुनकर स्तब्ध रह गए। उनकी स्तब्धता को तोड़ते हुए कालूगणी ने पहली सीख दी - 'तुलसी ! तुमको विशेष सजगता रखनी है, जिससे किसी को यह अनुभव न हो कि संघ के आचार्य बहुत छोटी अवस्था के हैं। मैं इस सचाई से अवगत हूं कि एक बालक अपनी प्रतिभा के
४६ / कालूयशोविलास-२