________________
मानते हैं ।'
हम तो उन्हें उप सातवे गीत में जावरा- प्रवास का वर्णन है। वहां तेरापंथ के विरोध में जितना अधिक प्रचार किया गया, लोगों में उतनी ही उत्सुकता बढ़ गई । निषेध से आकर्षण बढ़ता है, इस मनोवैज्ञानिक सिद्धान्त की सत्यता सिद्ध हुई । कालूगणी ने नगर में प्रवेश किया। बाजार के बीच चौक में व्याख्यान की व्यवस्था की गई। जनता की कल्पनातीत उपस्थिति देखकर कालूगणी ने जैनागम के आधार पर साध्वाचार का वर्णन किया और तेरापंथ के इतिहास, संगठन तथा सिद्धान्तों के बारे में विस्तार से विश्लेषण किया ।
लगभग पचास मिनट के प्रवचन में कालूगणी ने सारी स्थितियां साफ कर दीं । श्रोता चकित रह गए। विरोध या निन्दा करनेवालों की पोल खुल गई। लोगों की शंकाओं का समाधान हो गया । जनता के मन में अनायास ही कालूगणी के प्रति श्रद्धा के भाव जागृत हो गए ।
आठवें गीत का प्रारंभ जावरा में उत्पन्न स्थितियों के उपसंहार रूप में हुआ है । कवि ने साहित्यिक उपमाओं के माध्यम से कालूगणी के व्यक्तित्व को उजागर किया है। विरोधी लोगों का पश्चात्ताप और उनके मन में कालूगणी के प्रति अत्यधिक आदर भाव भी तेरापंथ के आकर्षण को बढ़ा गया।
जावरा से कालूगणी रतलाम पधारे। रतलाम में भी विरोध का वातावरण काफी उग्र बना हुआ था । किंतु कालूगणी के प्रथम प्रवचन से ही लोगों के सारे संशय समाप्त हो गए। एक चिकित्सक ने सम्पूर्ण स्थिति का आकलन करने के बाद कहा- हमारे शहर में हाबू या लहतान घुस गई थी । उसी के कारण जनता भ्रान्त हो गई, पर आचार्यजी के एक व्याख्यान से अपने आप सब कुछ बदल
गया।
रतलाम में कालूगणी चार दिन रहे । चौथे दिन एक वयोवृद्ध विद्वान ने दर्शन किए। कालूगणी ने पूछा - 'पण्डितजी ! आने में इतना विलम्ब कैसे हुआ ?' पण्डितजी बोले - 'महाराज ! आपके विरोध में छपे पैम्फलेट, पोस्टर आदि देखकर मैंने सोचा कि जिनके बारे में इतनी उल्टी-सीधी बातें लिखी गई हैं, उनकी ओर से प्रतिकार में कुछ तो लिखा ही जाएगा। मौखिक और लिखित रूप में आरोप-प्रत्यारोप होते रहेंगे । ऐसी स्थिति में वहां जाने से क्या लाभ? आपको यहाँ आए तीन दिन हो गए, फिर भी आपकी ओर से विरोध के प्रत्युत्तर में न तो एक शब्द कहा गया और न लिखा गया । इसी बात से प्रभावित होकर मैं यहां आया हूँ ।"
पण्डितजी की बात सुन कालूगणी ने कहा- 'जिन लोगों की जठराग्नि कमजोर होती है, वे वमन देखकर वमन करने लगते हैं । जिन्होंने समता की साधना नहीं
कालूयशोविलास-२ / ३७