________________
चकरी ज्यूं चितड़ो भमै रे २ खिण-खिण आळू याम रे। कुंवर ! के जाणै कांई हुयो रे २ भूली सगला काम रे।। कुंवर !
अन्तर ढाळ २/१०, ४/६ धन-धन भिक्षु स्वाम, दीपाई दान दया।
सावद्य निरवद्य छांट कृपानिधि कीधी मया। कीधी मया जी बहु जीव तित्या, त्यांरी साची सरधा धार भविक बहु उद्धरिया।।
२/१०, ५/६ आदिनाथ मेरे आंगण आया देखो भाग्य सवाया जी।
अन्तर ढाळ २/१०, ५/६ सुखपाल सिंहासण लाज्यो राज, सुगणजी !
२/११
बगीची निंबुवा की, आतो झुक-झुक झोला खाय। बगीची निंबुवा की। ध्रुव. जयपुर के बाजार में, कांई पड्यो पेमली बोर। बगीची... नीची होय उठावतां, काई पड्यो कमर में जोर।। बगीची...
अन्तर ढाळ २/११, ६/८ चालो बाबाजी घर आपणे हो राज
थांने माताजी री आण, थाने दादीसा री आण। अब थे करो न खींचाताण, चालो बाबाजी घर आपणे हो राज।।ध्रुव. बोले बालक बोलड़ा रे, मण-मण मीठा बोल। गळे लटुंबै मोद में दाढ़ी स्यूं करै किलोळ।। चालो...
२/१२
प्रीतमजी ! हिव तुम वेग पधारो। ध्रुव. वन में तजी अकेली, मैं समझी नहीं पहेली हो। प्रीतमजी !... नैणां स्यूं नीर बहादू, मिरगली ज्यूं चक्कर खावू हो।। प्रीतमजी!...
३८० / कालूयशोविलास-२