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________________ २/६ २/७ २/८ २/८ २ / ८ २/८ २/६ २/६ अन्तर ढाळ सुमतिनाथ सुमता पथ दाता । जंबू ! को मान लै रे जाया ! मत ले संयम भार । ध्रुव. आठूं ही कामणी जंबू ! अपछर रै उणिहार । परणी नै किम परिहरो, ज्यांरो किम निकलै जमवार ।। जंबू !... भजिये निशदिन कालु गणिंद । ध्रुव. भिक्षू-शासन अधिक विकासन, अष्टम आसन धार । कालु कलिमल - राशि -विनाशन प्रगट्या जगदाधार । । भजिये.... अन्तर ढाळ एक दिवस विषे नृपं सुत साथ चौगाने धन्नो आवै अति रंग रसे, बहु जन-वृन्द सुपेखत मेष लड़ावै ।। एक दिवस...ध्रुव. उभय मेष तिहां आहुड़िया, जुद्ध करण सम्मुख जुड़िया । . कोई आपस में अति ही लड़िया ।। एक दिवस... अन्तर ढाळ तावड़ा ! धीमो पड़ज्या रे २ म्हारी धण रो दूखै पेट सूरज बादल में छिपज्या रे, तावड़ा... ध्रुव . राजन चाल्या चाकरी स रे, खांधे धरी बंदूक । के तो सागे ले चलो, के कर डारो दो टूक ।। तावड़ा.... अन्तर ढाळ ऐसो जादूपति । डाभ मुंजादिक नीं डोरी, बधिया करै हेला नै सोरी । सी तापादिक कर दुखिया, साता बांछे जाणै हुवा सुखिया ।। अन्तर ढाळ कुंवर ! थांस्यूं मन लाग्यो, मन लाग्यो अंतर जाग्यो । निरखूं अपलक नैण रे, कुंवर थांस्यूं मन लाग्यो । ध्रुव. परिशिष्ट-३ / ३७६
SR No.032430
Book TitleKaluyashovilas Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Aacharya, Kanakprabhashreeji
PublisherAadarsh Sahitya Sangh
Publication Year2004
Total Pages420
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size25 MB
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