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अन्तर ढाळ
सुमतिनाथ सुमता पथ दाता ।
जंबू ! को मान लै रे जाया ! मत ले संयम भार । ध्रुव. आठूं ही कामणी जंबू ! अपछर रै उणिहार ।
परणी नै किम परिहरो, ज्यांरो किम निकलै जमवार ।। जंबू !...
भजिये निशदिन कालु गणिंद । ध्रुव.
भिक्षू-शासन अधिक विकासन, अष्टम आसन धार ।
कालु कलिमल - राशि -विनाशन प्रगट्या जगदाधार । । भजिये....
अन्तर ढाळ
एक दिवस विषे नृपं सुत साथ चौगाने धन्नो आवै
अति रंग रसे, बहु जन-वृन्द सुपेखत मेष लड़ावै ।। एक दिवस...ध्रुव. उभय मेष तिहां आहुड़िया, जुद्ध करण सम्मुख जुड़िया । . कोई आपस में अति ही लड़िया ।। एक दिवस...
अन्तर ढाळ
तावड़ा ! धीमो पड़ज्या रे २
म्हारी धण रो दूखै पेट सूरज बादल में छिपज्या रे, तावड़ा... ध्रुव . राजन चाल्या चाकरी स रे, खांधे धरी बंदूक ।
के तो सागे ले चलो, के कर डारो दो टूक ।। तावड़ा....
अन्तर ढाळ
ऐसो जादूपति ।
डाभ मुंजादिक नीं डोरी, बधिया करै हेला नै सोरी । सी तापादिक कर दुखिया, साता बांछे जाणै हुवा सुखिया ।।
अन्तर ढाळ
कुंवर ! थांस्यूं मन लाग्यो, मन लाग्यो अंतर जाग्यो । निरखूं अपलक नैण रे, कुंवर थांस्यूं मन लाग्यो । ध्रुव.
परिशिष्ट-३ / ३७६