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२/१२
अन्तर ढाळ सीपय्या ! तेरी सांवरी सूरत पर वारी। सासुजी रै जंवायां री मरोड़ लागै प्यारी।। ध्रुव. टोपी राज नै सोहवै फेंटै री छबी न्यारी। म्हारी राजकुंवर रै ढोलै री मरोड़ लागै प्यारी। मरोड़ लागै प्यारी, थारी सूरत पर बलिहारी। सासूजी रै जंवाया री मरोड़ लागै प्यारी।।
२/१३
जिण घर जाज्ये हे नींदड़ली, जे धाप-धाप अन खावै। जे भांगां धणी घुटावै, ज्यांने राम नाम न सुहावै।। जिण घर...ध्रुव. मैं तने निद्रा बरजियो, तूं संतन के मत जाय। कोई क मोडो मारसी जद आसी मूंड फुड़ाय।। जिण घर...
२/१४
धीठा में धीठ म्हें कहा बिगाड्या तेरा। निरलज्ज नरेश्वर ! पला छोड़ दे मेरा।। धीठा में...ध्रुव. परणी बिन पर तरुणी बांछ्या इह भव अपजस होवै। जी... जन्म बिगोवै बलि अति रोवै मानव नो भव खोवै।। धीठा में...
अन्तर ढाळ २/१४, ३५८ रूठ्योड़ा शिव शंकर म्हारै घरे पधारो जी।
२/१५
निमित नहिं भाखै गुरु ज्ञानी, हुवै जिम संयम की हानी।। ध्रुव. जैन मुनि सावज नहिं भाखै, महाव्रत यतना सूं राखै, सुधारस संयम को चाखै, मुक्ति के सुख की अभिलाखै। निमत भाखणो साधु नै कलपै नहीं लिगार, वीतराग भगवान परूप्यो अनरथ हुवै अपार, सुणो मन थिर कर भवि प्राणी।। निमित नहि...
३/१, ३/१२ चंडाली चोकड़िया हो टाळोकर चाळा चाळव्या,
दुर्मति कुमती कीयो रे प्रवेश। क्रोध भुजंगी पेठो हो टाळोकर रा घट मझे,
परिशिष्ट-३ / ३८१