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________________ १/१० अन्तर ढाळ 9/90 स्वामीजी ! थांरी बा मुद्रा जग ख्यात । ५/१५, ६/६ वज्रासन में बैठा दीपो, हो जोड्यां जुग हाथ । । स्वामीजी ! ध्रुव. शान्तमना अश्रान्त मनोबल, नत कंधर स्थिर गात । मुद्रित - लोचन संकट मोचन, मंगल परम प्रभात ।। स्वामीजी ! ۹/۹۹ अन्तर ढाळ १/१०, १/१३ कीड़ी चाली सासरे रे, मण मण काजल सार । आधो काजल घूंघटे रे, आधो काजल बार ।। २/४ १/१२ येन सहाश्रयसेऽतिविमोहादिदमहमित्यविभेदम् तदपि शरीरं नियतमधीरं त्यजति भवन्तं धृतखेदम् ।। विनय ! १/१४ भविकां ! मिथुन उपर दृष्टंत कहै जिन शान्ति जी रे लोय ! ध्रुव . भविकां ! विषय न सेवो बिरुवो दुखदायी घणो रे लोय ! भविकां ! क्षेत्र भरत मां नलपुर नयर सुहामणो रे लोय ! भविकां... १/१५ करेण घड़दै । तुं तो घड़ दै नी असल गिंवार, करेलण घड़ दै ए ।। वीरमती कहै चंद नै, वैसी नै एकत्र । चिंता रखे धरतो किसी, हूं छू तांहरै छत्र । । वीरमती कहै चंद नै .... भूमीश्वर अलवेश्वर कानन फेरै तुषार । वन श्वापद करया आकुला, तरु-तरु थया असवार ।। भूमीश्वर.... आज आनन्दा रे । ध्रुव. शुभ वेळा शुभ मुहूर्ते, आनन्दा रे, जायो सुत जयकार क । आज आनंदा रे ! नृप सुण तन मन हुलस्यो, आनन्दा रे, दीसे बधाई सार ।। आज आनंदा रे ।। सायर लहर स्यूं जाणै जी मींडक कूप नो, कुबज्या सुपरिणामे जी गुण रती रूप नो । नाळेरां नहिं दीठा जी थळिया बापड़ा, तस दाढ़े लागै मीठा जी काचर चीबड़ा । । परिशिष्ट-३ / ३७७
SR No.032430
Book TitleKaluyashovilas Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Aacharya, Kanakprabhashreeji
PublisherAadarsh Sahitya Sangh
Publication Year2004
Total Pages420
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size25 MB
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