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। ५५ दिन ।
५४ दिन
नवमासी | छवमासी | साढ़े तीन | दो मासी आछ के आछ के मासी आछ आगार से | आगार से | के आगार से साध्वी साध्वा । सन्त । सन्त सन्त साध्वियां
सन्त
सन्त
२
२
५३ दिन | ५२ दिन | ५१ दिन
डेढ़मासी ४४ | ३२ से ४१ दिन | ४७ दिन से ४७ दिन
आछ के
आगार से सन्त साध्वियां सन्त साध्वियां।
सन्त ५ १ १६ १० । १
साध्वी
सन्त
सन्त
२६
अनशन
मासखमण | परिपाटी | चौथी । दो-दो मास । ४१,४६ दिन | ३७ दिन २७ से ३१ प्रथम, दूसरी, | परिपाटी | संलेखना १५ | सलेखना ३० | अनशन दिन चौथी तथा दिन दो घण्टा | दिन २ घण्टा दूसरी और
अनशन तीसरी सन्त सतियां
सन्त साध्वियां सन्त साध्वियां
साध्वी | ३६ २१
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७८. वि. सं. १६७७ (ईस्वी सन १६२१) में केन्द्र सरकार ने जनसंख्या के आंकड़े तैयार करने का निर्देश दिया। जनसंख्या करने के लिए जो गणना-पत्र तैयार हुआ, उसमें धार्मिक दृष्टि से जैनधर्म को दो वर्गों में विभक्त किया-श्वेतांबर
और दिगंबर। श्वेतांबर जैनों का वर्गीकरण दो कोष्ठकों में हुआ-मूर्तिपूजक और स्थानकवासी । तेरापंथ सम्प्रदाय में आस्थाशील लोगों के लिए अलग से कोई कोष्ठक नहीं था। इस बात की अवगति पाकर श्रीचन्दजी गधैया (सरदारशहर), केशरीचंदजी कोठारी (चूरू) तथा जनगणना से संबंधित दो अधिकारियों ने दिल्ली पहुंचकर केन्द्र सरकार को पूरी जानकारी दी। इसके लिए उन्हें काफी प्रयत्न करना पड़ा। इस
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