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क्या कर रहे हो?' वजीर समझदार था, उसने पेट पर हाथ रखकर बादशाह को समझा दिया कि पेट पापी है, इसके लिए सब-कुछ करना पड़ता है। बादशाह समझ गया।
बादशाह के साथ बड़े-बड़े मंत्री और अफसर थे। वे रहस्य को नहीं समझ पाए, अतः अपने प्रति संदिग्ध हो गए। हमारे किसी गलत काम के बारे में वजीर बादशाह को जानकारी न दे दे, इस भय से वे वजीर के पास पहुंचे और बोले- 'वजीर साहब! आज आपकी बादशाह के साथ क्या बात हुई?' वजीर बोला-'सब बातें बताने की नहीं होती।
मन्त्री-हमारे संबंध में तो कोई बात नहीं हुई?
वजीर-नहीं क्यों? आप सबके काले-कारनामे मेरे ध्यान में हैं। इस प्रकार राज्य का अहित करना उचित नहीं है।
मंत्री-आपने बादशाह से क्या कहा? । वजीर-मैंने कहा कि सब बातें मेरे पेट में हैं।
मंत्री घबराए। अब वे बार-बार वजीर के घर पहुंचते और कहते–'वजीर साहब! आप सब-कुछ जानते हैं, हम तो नए नए हैं। हमारी शान रखना आपके हाथ में है। इस मौखिक आवेदन के साथ वे भेंट भी लाने लगे। पांच, दस, बीस हजार रुपयों की बड़ी-बड़ी रकमें वजीर के चरणों में चढ़ने लगीं। वजीर ने अवसर का लाभ उठाया और उन सबको आश्वस्त कर दिया।
आर्थिक संतुलन बन जाने के बाद वजीर के रहन-सहन का स्तर उन्नत हो गया। अब वह एक दिन राजसभा में बादशाह के पास गया। बादशाह ने वजीर से पूछा-'बोलो, क्या स्थिति है?' मंत्रियों का कलेजा बैठने लगा। उन्हें भय था कि वजीर उनके संबंध में कुछ न कह दे। वजीर बोला-'जहांपनाह! सब ठीक-ठाक है।' मंत्री लोग आश्वस्त होकर कनखियों से एक-दूसरे को देखने लगे।
वजीर बादशाह के निकट पहुंचा और सारी स्थिति की जानकारी देकर बोला
'बहुत दिनों से कसीला आया, पर हमने किनसे न जताया। ___चक्की पीस कर रखी शान, नजरे दौलत महरवान।।'
महान व्यक्तियों की नजर में ही दौलत है। उनकी नजर जहां टिक जाती है, वहां हर असंभव कार्य संभव हो जाता है।
५५. व्याकरण में दो प्रकार के अक्षर होते हैं-लघु और गुरु। अ इ उ ऋ तृ-ये लघु अक्षर हैं। इनको लघु मानने का आधार है इन अक्षरों की एक मात्रा। द्विमात्रिक अक्षर आ ई ऊ ए ऐ ओ औ गुरु कहलाते हैं। एकमात्रिक अक्षर लघु
परिशिष्ट-१ / ३०५