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________________ दिया। दंडित व्यक्ति चित्तौड़ के राणा हमीर की शरण में चला गया । रणथंभोर के राणा ने अपने व्यक्ति को वापस मांगा तो चित्तौड़ के राणा ने यह कहकर उसे लौटाने से इंकार कर दिया कि वे अपने शरणागत व्यक्ति को पूर्ण संरक्षण देंगे। अलाउद्दीन खिलजी ने इस प्रसंग को लेकर चित्तौड़ पर चढ़ाई कर दी । राणा हमीर मुकाबले के लिए तैयार हो गए । युद्ध के लिए सज्जित होकर प्रस्थान करने से पहले वे अपने अंतःपुर में गए। उन्होंने अपनी पत्नियों से कहा - 'मुझे दृढ़ विश्वास है कि मैं विजयी होकर लौटूंगा । कदाचित ऐसा नहीं हुआ तो हम तुम्हें संकेत करवा देंगे । पराजय की सूचना मिलते ही तुम लोग जौहर कर लेना ।' युद्ध में राणा हमीर विजयी हुए । उन्होंने अपनी विजय की सूचना अंतःपुर में पहुंचाने का निर्देश दिया। विजयोन्माद से भरे हुए सैनिकों ने प्रमादवश पराजय का संकेत कर दिया। संकेत मिलते ही सारा अंतःपुर जलकर भस्म हो गया । राजमहल में पहुंचकर अंतःपुर की स्थिति देखते ही राणा सन्न रह गए। छोटे-से प्रमाद ने कितना अनर्थ कर दिया ! अंतःपुर के इस प्रकार भस्म होने से दुःखित हुए और उस दुःख - शमन के लिए उन्होंने जौहर करने का निर्णय लिया । राज्य के वरिष्ठ अधिकारियों तथा प्रजा के प्रतिनिधियों ने राणा को समझाया कि वे इतनी-सी बात के लिए दुःख न करें। उनके लिए एक नहीं, बीसों कन्याएं तैयार हैं। पर राणा नहीं माने, वे बोले सिंह-संगम सुपुरुष-वयण, केल फलै इक डार । त्रिया तैल हमीर हठ, चढ़े न दूजी बार।। 9. 'मेरी भूल से अंतःपुर जला है । उस भूल का प्रायश्चित्त मेरे जलने से ही होगा ।' कहा जाता है कि राणा हमीर ने जिंदा जौहर करके अपना हठ पूरा किया। ४४. मुरड़ियाजी के संबंध में आचार्यश्री तुलसी द्वारा कथित दोहेहीरालाल हमीरसिंह, दोय मुरड़िया भ्रात । श्रावक वासी उदयपुर, अम्बा - सुत विख्यात ।। २. सुत हमीरसिंह रा युगल, मदनसिंह रणजीत । दोनूं ओधैधर सखर, तेरापंथ प्रतीत ।। ३. मदनसिंह बड़सोदरू, आछो अवसर देख | पूज्यपाद प्रणती करी, विनती करी विशेख । । ४५. गुजरात की घटना है। वहां एक व्यक्ति ने नौकर रखा। नाम था उसका ‘अमथा’। अमथा ढीला-ढाला व्यक्ति था, फिर भी जैसे-तैसे अपना काम कर लेता परिशिष्ट-१ / २६७
SR No.032430
Book TitleKaluyashovilas Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Aacharya, Kanakprabhashreeji
PublisherAadarsh Sahitya Sangh
Publication Year2004
Total Pages420
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size25 MB
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