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________________ ३५. बालक रोहक एक साधारण परिवार का असाधारण बच्चा था। उसकी प्रतिभा विलक्षण थी। एक बार वह अपने पिता के साथ उज्जयिनी आया। शहर में घूमकर वह शिप्रा नदी के तट पर गया। वहां उसने संपूर्ण उज्जयिनी को अंकित कर दिया। कुछ समय बाद राजा उधर से गुजरा। तट पर अंकित रेखाचित्रों ने उसको विस्मित कर दिया। राजा ने उसका पता लगाया और बुद्धि-परीक्षण के बाद उसे अपना महामात्य घोषित कर दिया। रोहक की बुद्धि के संबंध में अनेक घटनाएं और किंवदंतियां प्रचलित हैं। 'नंदी सूत्र' की टीका में रोहक की प्रत्युत्पन्न बुद्धि की अनेक कहानियां प्राप्त हैं। ३६. कुणाल के पुत्र सम्राट सम्प्रति अपने समय के यशस्वी राजा थे। ये सम्राट अशोक के पौत्र थे। अशोक ने बौद्ध धर्म की प्रगति में अपना योगदान दिया। सम्प्रति का आकर्षण जैनधर्म के प्रति था। उन्होंने जैनधर्म के विकास-हेतु जो काम किया, वह उल्लेखनीय है। ... ३७. चंडप्रद्योत भगवान महावीर का भक्त और उनका समकालीन जैन राजा था। गंध हस्ती जैसा विशिष्ट हाथी उसके अधिकार में था। ३८. तेरापंथ धर्मसंघ के सातवें आचार्यश्री डालगणी मालवा प्रदेश के थे। वे बड़े विलक्षण आचार्य थे। उनकी विलक्षणता का स्वयंभू प्रमाण है-माणकगणी द्वारा आचार्यपद के लिए किसी का निर्धारण न करने पर धर्मसंघ ने सर्व-सम्मति से उनका निर्वाचन किया और निर्वाचन का यह कार्य उनकी अनुपस्थिति में हुआ। इस घटना से जाना जाता है कि डालगणी के वर्चस्वी और यशस्वी व्यक्तित्व ने ही धर्मसंघ के अस्थिर भविष्य को स्थिरता दी। डालगणी ने अपने शासनकाल के बारह वर्षों में एक सजग और विश्वस्त प्रहरी की भांति धर्मशासन की देखभाल की। डालगणी का पूरा जीवनवृत्त जानने के लिए पढ़ें-आचार्यश्री तुलसी द्वारा निर्मित 'डालिम-चरित्र'। ३६. गंगाशहर-निवासी श्रावक ईशरचंदजी चौपड़ा के संबंध में आचार्यश्री तुलसी द्वारा कथित सोरठे- . १. लख्या सैकड़ा सेठ, पिण ठकुराई इण जिसी। कोइक निभावै नेठ, जो रबाब राजां जिसो।। २. सदा राखतो हाथ, गांठां वाली शुभ छड़ी। पाई अनुपम आथ, कालू री करुणा निजर।। ३. रुकता पैर पचास, सेठ जठै पग रोकतो। होतो पन्थ खलास, सेठ आवतां ही स्वयं ।। परिशिष्ट-१ / २६३
SR No.032430
Book TitleKaluyashovilas Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Aacharya, Kanakprabhashreeji
PublisherAadarsh Sahitya Sangh
Publication Year2004
Total Pages420
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size25 MB
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